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________________ 555555555555555555555555555555555555 उरक्खोडी-दिण्ण-गाढपेल्लण-अट्ठिगसंभग्गसपंसुलिगा गलकालकलोहदंड-उर-उदर-वत्थिपरिपीलिया मत्थंत-हिययसंचण्णियंगमंगा आणत्तीकिंकरेहिं। केई अविराहिय-वेरिएहिं जमपुरिस-सण्णिहेहिं पहया ते तत्थ मंदपुण्णा चडवेला-वज्झपट्टपाराइछिव-कस-लत्तवरत्त-णेत्तप्पहारसयतालि-यंगमंगा किवणा लंबंतचम्मवणवेयणविमुहियमणा घणकोट्टिमणियलजुयलसंकोडियमोडिया य कीरंति णिरुच्चारा असंचरणा, एया अण्णा य एवमाईओ वेयणाओ पावा पावेंति। ७२. [प्र. ] चोरों को जिन विविध बन्धनों से बाँधा जाता है, वे बन्धन कौन-कौन से हैं ? [उ. ] हडि-खोड़ा या काठ की बेड़ी, जिसमें चोर का एक पाँव फँसा दिया जाता है, लोहे की बेड़ी, बालों से बनी हुई रस्सी, जिसके किनारे पर रस्सी का फंदा बाँधा जाता है, ऐसा एक विशेष प्रकार का काष्ठ, चर्म से बने मोटे रस्से, लोहे की साँकल, हथकड़ी, चमड़े, का पट्टा, पैर बाँधने की रस्सी तथा निष्कोटन नाम का एक विशेष प्रकार का बन्धन, इन सब तथा इसी प्रकार के अन्य-अन्य दुःखों को समुत्पन्न करने वाले कारागार-कर्मचारियों के उपकरणों द्वारा पापी चोरों को बाँधकर पीड़ा पहुँचाई जाती है। इतना ही नहीं, उन पापी चोर कैदियों के शरीर को सिकोड़कर और मोड़कर जकड़ दिया जाता है। कैद की कोठरी (काल-कोठड़ी) में डालकर किवाड़ बन्द कर देना, लोहे के पिंजरे में डाल देना, भोयरेतलघर में बन्द कर देना, कभी गहरे कुएँ में उतारना, जेलखाने के सींखचों से बाँध देना, अंगों में कीलें ठोक देना, (बैलों के कंधों पर रखा जाने वाला) जूवा उनके कंधे पर रख देना अर्थात् बैलों के स्थान पर उन्हें गाड़ी में जोत देना, गाड़ी के पहिये के साथ बाँध देना या पहिया गले में डाल देना, बाहों, जाँघों और सिर को कसकर बाँध देना, खम्भे से चिपटा देना, पैरों को ऊपर और मस्तक को नीचे की ओर करके लटका देना इत्यादि अनेक प्रकार के बन्धन हैं जिनसे बाँधकर अधर्मी जेल अधिकारियों द्वारा चोर बाँधे जाते हैं-पीड़ित किये जाते हैं। फिर चोरी करने वालों की गर्दन नीची झुकाकर, छाती और सिर को कसकर बाँध दिया जाता है, तब वे निःश्वास छोड़ते हैं अथवा कसकर बाँधे जाने के कारण उनका श्वास रुक जाता है अथवा उनकी आँखें ऊपर को आ जाती हैं। डर व पीड़ा के मारे उनकी छाती धक-धक करती रहती है। उनके अंग मोड़े जाते हैं, वे बारम्बार उल्टे किये जाते हैं। वे अशुभ विचारों में डूबे रहते हैं और ठण्डी आहे छोड़ते हैं। कारागार के अधिकारियों की आज्ञा का पालन करने वाले कर्मचारी उनको विविध यातनाएँ देते हैं, जैसे चमड़े की रस्सी से उनके मस्तक (कसकर) बाँध देते हैं, दोनों जंघाओं को चीर देते हैं या मोड़ देते हैं। काठ के एक खास यंत्र से उनके घुटने, कोहनी, कलाई आदि जोड़ों को बाँधा जाता है। तपी हुई लोहे की सलाइयाँ एवं सुइयाँ शरीर में चुभोई जाती हैं। उनका शरीर वसूले से लकड़ी की भाँति छीला जाता है। मर्मस्थलों को पीड़ित किया जाता है। शरीर पर बने घावों पर नमक आदि क्षार पदार्थ, नीम आदि | श्रु.१, तृतीय अध्ययन : अदत्तादान आश्रय (151) Sh.1, Third Chapter : Stealing Aasrava Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002907
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages576
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_prashnavyakaran
File Size19 MB
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