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________________ 9555555555555555555555555555555555555 कीस अच्छंति ! भारिया भे करित्तु कम्मं, गहणाई वणाई खेत्तखिलभूभिवल्लराई उत्तण-घणसंकडाई । डझंतु-सूडिज्जंतु य रुक्खा, भिज्जंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अढाए उच्छू दुजंतु, ॐ पीलिज्जंतु य तिला। पयावेह य इट्ठकाउ मम घरट्ठयाए, खेत्ताई कसह कसावेह य, लहुं गाम-आगर-णगर-खेड-कब्बडे ॐ णिवेसेह, अडवीदेसेसु विउलसीमे पुष्पाणि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताई गिण्हेह, करेह संचयं ॥ परिजणट्ठयाए साली वीही जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उप्पणिज्जंतु य लहुं य पविसंतु य कोट्ठागारं । 卐 ५६. जो अन्य प्राणियों को सन्ताप-पीड़ा पहुँचाने में संलग्न होते हैं, वे अविचारपूर्वक भाषण करने + वाले लोग किसी के पूछने पर और (कभी-कभी) बिना पूछे ही सहसा (अपनी पटुता प्रकट करने के लिए) दूसरों को इस प्रकार का उपदेश देते हैं कि-ऊँटों, बैलों और जंगली पशु रोझ आदि को इस के प्रकार दमन करो। परिणत आयु वाले इन अश्वों को, हाथियों को, भेड़-बकरियों को या मुर्गों को । खरीदो, खरीदवाओ, इन्हें बेच दो, पकाने योग्य वस्तुओं को पकाओ, स्वजन को दे दो, मदिरा आदि पीने योग्य पदार्थों का पान करो। दासी, दास-नौकर, भृतक-भोजन देकर रखे जाने वाले सेवक, भागीदार, शिष्य, कर्मकर-कर्म । करने वाले, किंकर-क्या करूँ? इस प्रकार पूछकर कार्य करने वाले, ये सब प्रकार के कर्मचारी तथा ये ॐ स्वजन और परिजन क्यों-कैसे (निकम्मे-निठल्ले) बैठे हुए हैं। अर्थात् उनसे काम क्यों नहीं लेते? ये 4 भरण-पोषण करने योग्य हैं अर्थात् इनका वेतन आदि चुका देना चाहिए। इनसे अपना काम करवाओ। ये सघन वन, खेत, बिना जोती हुई भूमि, जो उगे घास-फूस से भरे हैं, इन्हें जला डालो, घास कटवाओ ॐ या उखड़वा डालो, यन्त्रों-घानी, गाड़ी आदि भांड-कुण्डे आदि उपकरणों के लिए और नाना प्रकार के प्रयोजनों के लिए वृक्षों को कटवाओ, तिलों को पेलो-इनका तेल निकालो।। घर बनाने के लिए ईंटों को पकाओ, खेतों को जोतो अथवा जुतवाओ, जल्दी-से ग्राम, आकर, म नगर, खेड़ा और कर्बट आदि को बसाओ। प्रदेश में विस्तृत सीमा वाले गाँव आदि बसाओ। पुष्पों और # फलों को तोड़ने या ग्रहण करने का समय हो चुका है, ऐसे कन्दों और मूलों को ग्रहण करो। अपने ॐ परिजनों के लिए इनका संचय करो। शाली-धान, ब्रीहि-अनाज आदि और जौ को काट लो। इन्हें मलो, अर्थात् मसलकर दाने अलग कर लो। पवन से साफ करो-दानों को भूसे से पृथक् करो और शीघ्र कोठों , और घरों में भर लो। 56. There are people who are engaged in causing trouble and violence y to other living beings. They speak without proper thought. They tell on y asking and sometimes even suddenly in order to exhibit their intelligence) to others that they should in such and such manner control camel, bullocks and wild horse. They advise them that they should purchases horse, elephants, sheep and goat. They advise them to get such animals purchased or sold. They further advise them to cook the 4 things worthy of cooking and to give them to their relatives. They advise them to take intoxicants such as wine. %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%岁岁岁岁男男男男男男%%%%%%%%%%%%%BEE श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र (112) Shri Prashna Vyakaran Sutra | 由牙牙牙牙牙牙牙%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%B Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002907
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages576
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_prashnavyakaran
File Size19 MB
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