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________________ फफफफफ (21) Manman- Since it is indistinct, vague. (22) Noom—Since it betrays truth. (23) Nikriti - Since it conceals deceitful conduct. (24) Apartyaya - Since it generates mistrust. (25) Asamaya — Since it is devoid of right conduct. Civilised people do not support it. (26) Asatya-Sandhata-Since it is the cause of false oaths. F F (27) Vipaksh — Since it is opponent of truth and dharma. (28) Apadhik-Since it is the creation of persons having mean and pervert intellect. (29) Upadhi-Ashudh-It is impure because of deceitful nature. (30) Avalope— It conceals the real nature of a thing. मृषावादी THE FALSE ४६. ५ तं च पुण वयंति केई अलियं पावा असंजया अविरया कवड - कुडिल - कडुय - चडुलभावा कुद्धा लुद्धा भया य हस्सट्ठिया य सक्खी चोरा चारभडा खंडरक्खा जियजयकरा य गहियगहणा कक्क - कुरुगकारगा, कुलिंगी, उवहिया वाणियगा य कूडतुल- कूडमाणी कूडकाहावणोवजीविया पडगारका कलाया, ५ कारुइज्जा वंचणपरा चारियचाडुयार - जगरगुत्तिय - परिचारगा दुट्ठवाइसूयग- अणबल - भणिया य पुव्वकालियवयणदच्छा साहसिया लहुस्सगा असच्चा गारविया असच्चट्ठावणाहिचित्ता उच्चच्छंदा अणिग्गहा 5 अणियत्ता छंदेणमुक्कवाया भवंति अलियाहिं जे अविरया । ५ F ४६. यह असत्य कितनेक पापी रात-दिन पापकर्म करने वाले संयमहीन, सर्वविरति और 5 देशविरति से रहित, कपट के कारण कुटिल, कटु स्वभाव वाले और चंचल चित्त वाले, क्रोध से F F अभिभूत, लोभ के वशीभूत, अनेक प्रकार के भयों से त्रस्त स्वयं भयभीत और अन्य को भय उत्पन्न करने वाले, हँसी-1 -मजाक करने वाले, झूठी गवाही देने वाले, चोर, गुप्तचर- जासूस, खण्डरक्ष - राजकर 5 या चुंगी वसूल करने वाले, जुआ में हारे हुए - जुआरी, गिरवी माल को हजम करने वाले, कपट से F F किसी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहने वाले, मिथ्या मत वाले वेषधारी, छल करने वाले, वणिक, खोटा नापने - तोलने वाले, नकली सिक्कों से आजीविका चलाने वाले, जुलाहे, सुनार - कारीगर, दूसरों को ठगने वाले, दलाल, चाटुकार- खुशामदी, नगररक्षक मैथुन - सेवी - स्त्रियों को बहकाने वाले, खोटा पक्ष लेने वाले, चुगलखोर, साहूकार के ऋण सम्बन्धी तकाजे से दबे हुए, कर्जदार, किसी के बोलने से पूर्व ही उसके अभिप्राय को ताड़ लेने वाले, साहसिक - सोच-विचार किये बिना ही प्रवृत्ति करने वाले, 5 निस्सत्त्वहीन - अधम, हीन, सत्पुरुषों का अहित करने वाले दुष्ट जन, अहंकारी, असत्य की स्थापना में F F चित्त को लगाये रखने वाले, अपने को उत्कृष्ट बताने वाले, निरंकुश, नियमहीन और बिना विचारे मनमाना असंबद्ध बोलने वाले लोग, जो असत्य से विरत नहीं हैं, वे (असत्य) बोलते हैं। 5 5 श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र 5 Jain Education International (80) For Private & Personal Use Only L Shri Prashna Vyakaran Sutra 5 www.jainelibrary.org
SR No.002907
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages576
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_prashnavyakaran
File Size19 MB
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