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द्वितीय अध्ययन : मृषावाद
SECOND CHAPTER FALSEHOOD
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प्रथम अध्ययन में प्राणवध रूप हिंसा को सांगोपांग निरूपण करके अब हिंसा के प्रेरक कारणों का कथन अगले अध्ययनों में किया जा रहा है। हिंसा के साथ मृषावाद (झूठ) का सम्बन्ध जुड़ा है। क्योंकि मृषावाद क्रोध, भय, लोभ, स्वार्थ, हास्य आदि के कारण बोला जाता है। यह सब क्रोधादि भाव हिंसा के मुख्य कारण हैं।
After describing violence in the form of destruction of life force in an exhaustive manner, the causes that lead to such violence are being narrated in the following chapters. Falsehood is deeply connected with violence because it is due to anger, fear, greed, selfishness, mockery and the like. Anger and all such like thought activity is primary cause of violence (himsa).
मृषावाद का स्वरूप NATURE OF FALSEHOOD
४४. “इह खलु जंबू” ! बिइयं अलियवयणं लहुसग - लहुचवल - भणियं भयंकरं दुहकरं अयसकरं वेरकरगं अरइ-रइ-रागदोस - मणसंकिलेस - वियरणं अलियणियडिसाइजोयबहुलं णीयजणणिसेवियं मणिस्संसं अप्पच्चयकारगं परमसाहुगरहणिज्जं परपीलाकारगं परमकिण्हलेस्ससेवियं दुग्गइविणिवायविवडणं भवपुणब्भवकरं चिरपरिचिय- मणुगयं दुरंतं कित्तियं बिइयं अहम्मदारं ।
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४४. हे जम्बू ! अलीकवचन अर्थात् मिथ्याभाषण दूसरा (आस्रवद्वार) है। यह गुण - गौरव से हीन, हल्के, अति उतावले और चंचल लोगों द्वारा बोला जाता है, यह स्व एवं पर के लिए भय उत्पन्न करने वाला, दुःखोत्पादक, अपयशकारी एवं वैर बढ़ाने वाला है। यह अरति, रति, राग, द्वेष और मानसिक संक्लेश को देने वाला है। शुभ फल से रहित है। धूर्त्तता एवं अविश्वसनीय वचनों से भरपूर है। नीच 5 जन इसका सेवन करते हैं। यह नृशंस, क्रूर अथवा निन्दित है । अप्रतीतिकारक है- विश्वसनीयता का नाश करने वाला है । उत्तम साधुजनों-सत्पुरुषों द्वारा निन्दित है । दूसरों को जिनके लिए असत्यभाषण किया जाता है, उनको पीड़ा उत्पन्न करने वाला है। उत्कृष्ट कृष्णलेश्या से युक्त है अर्थात् कृष्णलेश्या वाले 5 लोग इसका प्रयोग करते हैं । यह बारम्बार दुर्गतियों में ले जाने वाला है। जन्म मरण की वृद्धि करने वाला है। यह चिरपरिचित है-अनादि काल से जीव इसके अभ्यासी हैं। निरन्तर साथ रहने वाला है और बड़ी कठिनाई से इसका अन्त होता है अथवा इसका परिणाम अतीव अनिष्ट होता है।
44. Jambu! Untrue talk or false speech is the second entrance for the inflow (Aasrav Dvar) of Karma. It is devoid of the characteristic of respect. It is mean. It is spoken by mischievous persons who have no stable approach. It creates fear trouble, dishonour and increases enmity among people. It produces distaste for self-restraint, liking for worldly श्रु. १, द्वितीय अध्ययन : मृषावाद आश्रव
(75) Sh. 1, Second Chapter: Falsehood Aasrava
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