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१०० [प्र. १ ] बालपंडियवीरियलद्धिया णं ?
[ उ. ] तिण्णि नाणाइं भयणाए ।
[ २ ] तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिण्णि य अण्णाणाई भयणाए ।
१००. [ प्र. १ ] भगवन् ! बालपण्डितवीर्यलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ?
[ उ. ] गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना से होते हैं।
[ २ ] बालपण्डितवीर्यलब्धिरहित जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं ।
100. [Q.1] Bhante ! Are jivas with Baal - pandit-virya-labdhi (attainment of ability of potency of an indisciplined and disciplined both) jnani or ajnani ?
[Ans.] Gautam ! They have different alternative combinations of three jnanas.
[2] Living beings without Baal-pandit-virya-labdhi (devoid of potency of an indisciplined and disciplined both) have different alternative combinations of three jnanas (kinds of right knowledge) and three ajnanas.
१०१. [ प्र. १ ] इंदियलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अण्णाणी ?
[ उ. ] गोयमा ! चत्तारि णाणाइं, तिण्णि य अन्नाणाई भयणाए ।
१०१. [ प्र. १ ] भगवन् ! इन्द्रियलब्धिमान् जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ?
[उ. ] गौतम ! उनमें चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं ।
101. [Q 1.] Bhante ! Are jivas with Indriya-labdhi (ability of sense organs) jnani or ajnani ?
[Ans.] Gautam ! They have different alternative combinations of four jnanas and three ajnanas (kinds of wrong knowledge).
[प्र. २] तस्स अलद्धिया णं पुच्छा ।
[उ.] गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । नियमा एगनाणी - केवलनाणी ।
[प्र. २ ] भगवन् ! इन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ?
[ उ. ] गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं । वे नियमतः एक मात्र केवलज्ञानी होते हैं।
[Q. 2] Bhante ! Are jivas without Indriya-labdhi (ability of sense organs) jnani or ajnani ?
अष्टम शतक द्वितीय उद्देशक
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Eighth Shatak: Second Lesson
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