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६७. [प्र. ] भगवन् ! भवसिद्धिक (भव्य) जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? [उ. ] गौतम ! इनका कथन सकायिक जीवों के समान जानें।
67. (Q.) Bhante ! Are bhavasiddhik jivas (beings worthy of being liberated in future) jnani or ajnani?
[Ans.] They follow the pattern of embodied beings (sakaayik jivas). ६८. [प्र. ] अभवसिद्धिया णं पुच्छा ? [ उ. ] गोयमा ! नो नाणी; अण्णाणी, तिण्णि अण्णाणाई भयणाए। ६८. [प्र. ] भगवन् ! अभवसिद्धिक (अभव्य) जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी? [उ. ] गौतम ! ये ज्ञानी नहीं, किन्तु अज्ञानी हैं। इनमें तीन अज्ञान भजना से होते हैं।
68. (Q.) Bhante ! Are abhavasiddhik jivas (beings unworthy of being 41 liberated in future) jnani or ajnani (ignorant or with wrong knowledge) ?
[Ans.] They are not jnani but ajnani only. They follow the pattern of is embodied beings (sakaayik jivas). They have different alternative combinations of three ajnanas.
६९. [प्र. ] नोभवसिद्धिया नोअभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा० ? [ उ. ] जहा सिद्धा। ६९. [प्र. ] भगवन् ! नो-भवसिद्धिक-नो-अभवसिद्धिक जीव ज्ञानी हैं अथवा अज्ञानी हैं ? [उ. ] गौतम ! इनके सम्बन्ध में सिद्ध जीवों के समान समझें।
69. [Q.] Bhante ! Are no-bhavasiddhik-no-abhavasiddhik jivas (beings neither worthy not unworthy of being liberated in future) jnani or ajnani?
[Ans.] They are like Siddhas. आठवाँ, संजीद्वार EIGHTH STATE : SANJNI
७०. [प्र. ] सण्णी णं पुच्छा। [उ. ] जहा सइंदिया। असण्णी जहा बेइंदिया। नोसण्णी-नोअसण्णी जहा सिद्धा। ७०. [प्र.] भगवन् ! संज्ञीजीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ?
[उ. ] गौतम ! सेन्द्रिय जीवों के कथन के समान इनके विषय में समझें। असंज्ञी जीवों के विषय में द्वीन्द्रिय जीवों के समान समझें। नो-संज्ञी-नो-असंज्ञी जीवों का कथन सिद्ध जीवों की तरह जानना चाहिए।
70. IQ.] Bhante ! Are sanjni jivas (sentient beings) jnani or ajnani ?
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अष्टम शतक : द्वितीय उद्देशक
(31)
Eighth Shatak : Second Lesson
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