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५६. [प्र. ] अपज्जत्ता णं भंते ! नेरइया किं नाणी, अनाणी? [उ. ] तिण्णि नाणा नियमा, तिण्णि अण्णाणा भयणाए। एवं जाव थणियकुमारा। ५६. [प्र. ] भगवन् ! अपर्याप्त नैरयिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ?
[उ. ] गौतम ! उनमें तीन ज्ञान नियमतः होते हैं अथवा तीन अज्ञान भजना से होते हैं। नैरयिक जीवों की तरह यावत् अपर्याप्त स्तनितकुमार देवों तक इसी प्रकार कथन करना चाहिए। 4 56. (Q.) Bhante ! Are aparyaptak nairayik jivas (underdeveloped
infernal beings).jnani or ajnani ? म [Ans.] Gautam ! They have three jnanas as a rule or different 4 alternative combinations of three ajnanas. The same follows up to under developed (aparyaptak) Stanit Kumar divine beings.
५७. पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया जहा एगिदिया।
५७. (अपर्याप्त) पृथ्वीकायिक से लेकर वनस्पतिकायिक जीवों तक का कथन एकेन्द्रिय जीवों की तरह करना चाहिए।
57. Earth-bodied beings (aparyaptak) to plant bodied beings (aparyaptak) follow the pattern of one-sensed beings.
५८. [प्र. ] बेइंदिया णं पुच्छा। [उ. ] दो नाणा, दो अण्णाणा णियमा। एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं। ५८. [प्र. ] भगवन् ! अपर्याप्त द्वीन्द्रिय ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ?
[उ. ] गौतम ! इनमें दो ज्ञान अथवा दो अज्ञान नियमतः होते हैं। इसी प्रकार यावत् (अपर्याप्त) पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक तक जानना चाहिए।
58. [Q.] Bhante ! Are aparyaptak dvindriya jivas (underdeveloped two-sensed beings).jnani (endowed with right knowledge) or ajnani ?
[Ans.) Gautam ! They have two jnanas or two ajnanas (kinds of wrong knowledge) as a rule. The same is true for all beings up to aparyaptak panchendriya tiryanchayonik jivas (underdeveloped five-sensed animals).
५९. [प्र. ] अपज्जत्तगा णं भंते ! मणुस्सा किं नाणी, अन्नाणी ? __ [उ. ] तिण्णि नाणाई भयणाए, दो अण्णाणाई नियमा। वाणमंतरा जहा नेरइया।
५९. [ प्र. ] भगवन् ! अपर्याप्तक मनुष्य ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ?
[उ. ] गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना से होते हैं और दो अज्ञान नियमतः होते हैं। अपर्याप्त ॐ वाणव्यन्तर जीवों का कथन नैरयिक जीवों की तरह समझें।
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भगवती सूत्र (३)
(28)
Bhagavati Sutra (3)
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