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42. [Q.] Bhante ! Are jivas (living beings) with one sense organ (ekendriya).jnani or ajnani (ignorant or with wrong knowledge)?
[Ans.] Gautam ! They follow the pattern of earth-bodied beings (prithvikaayik).
४३. बेइंदिय-तेइंदिय-चतुरिंदियाणं दो नाणा, दो अण्णाणा नियमा। पंचिंदिया जहा सइंदिया। ___४३. दो इन्द्रियों, तीन इन्द्रियों और चार इन्द्रियों वाले जीवों में दो ज्ञान या दो अज्ञान नियमतः ॥ होते हैं। पाँच इन्द्रियों वाले जीवों का कथन सेन्द्रिय जीवों की तरह करना चाहिए।
43. Two, three and four sensed beings have, as a rule, two jnanas or two ajnanas. Five-sensed beings follow the pattern of jivas with sense 4i organs (sendriya).
४४. [प्र.] अणिंदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी०? [उ. ] जहा सिद्धा। ४४. [प्र. ] भगवन् ! अनीन्द्रिय (इन्द्रियरहित) जीव ज्ञानी हैं अथवा अज्ञानी हैं ?
[उ. ] गौतम ! उनके विषय में सिद्धों की तरह जानना चाहिए। (अर्थात् वे नियमतः एक केवल ॐ ज्ञान वाले होते हैं।)
44. (Q.) Bhante ! Are jivas (souls) without sense organs (anindriya) .jnani (endowed with right knowledge) or ajnani?
[Ans.] Gautam ! They are like Siddhas. तृतीय, कायद्वार THIRD STATE : KAAYA
४५. [प्र. ] सकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ? _[उ. ] गोयमा ! पंच नाणाणि तिण्णि अन्नाणाई भयणाए।
४५. [प्र. ] भगवन् ! सकायिक (कायासहित) जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? [उ. ] गौतम ! सकायिक जीवों के पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं।
45. [Q.] Bhante ! Are sakaayik jivas (living beings with body or embodied beings).jnani or ajnani ?
[Ans.) Gautam ! They have different alternative combinations of five jnanas (kinds of right knowledge) as well as those of three ajnanas (kinds of wrong knowledge).
४६. पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया नो नाणी, अण्णाणी। नियमा दुअण्णाणी; तं जहा* मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य। तसकाइया जहा सकाइया।
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| भगवती सूत्र (३)
(24)
Bhagavati Sutra (3)
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