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३४. [ प्र. ] नेरइयाणं भंते ! णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिया अविभागपलिच्छेया पण्णत्ता ?
[ उ. ] गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ।
३४. [ प्र. ] भगवन् ! नैरयिकों के ज्ञानावरणीयकर्म के कितने अविभाग-परिच्छेद कहे गये हैं ? [ उ. ] गौतम ! उसके अनन्त अविभाग-परिच्छेद कहे गये हैं ।
34.
[Q.] Bhante ! How many ultimate fractions (avibhaag parichchhed) knowledge obscuring karma of infernal beings is said to have?
[Ans.] Gautam ! It is said to have infinite ultimate fractions.
३५. [ प्र. ] एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं पुच्छा ।
[ उ. ] गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ।
३५. [प्र.] भगवन् ! इसी प्रकार वैमानिकपर्यन्त सभी जीवों के ज्ञानावरणीयकर्म के कितने अविभाग- परिच्छेद कहे गये हैं ?
[ उ. ] गौतम ! अनन्त अविभाग-परिच्छेद कहे गये हैं ।
35. Bhante ! In the same way how many ultimate fractions (avibhaag parichchhed) the Jnanavaraniya karma (knowledge obscuring karma) of all beings up to Vaimanik devs (celestial-vehicular gods) is said to have? [Ans.] Gautam ! It is said to have infinite ultimate fractions.
३६. एवं जहा णाणावरणिज्जस्स अविभागपलिच्छेदा भणिया तहा अट्टण्ह वि कम्मपगडीणं भाणियव्वा जाव वैमाणियाणं अंतराइयस्स ।
३६. जिस प्रकार ( सभी जीवों के) ज्ञानावरणीयकर्म के (अनन्त) अविभाग-परिच्छेद कहे हैं, उसी प्रकार वैमानिक - पर्यन्त सभी जीवों के यावत् अन्तराय कर्म तक आठों कर्मप्रकृतियों के (प्रत्येक के अनन्त-अनन्त) अविभाग-परिच्छेद कहने चाहिए।
विवेचन : अविभाग-परिच्छेद की व्याख्या - परिच्छेद का अर्थ है-अंश और अविभाग का अर्थ है - जिसका विभाग न हो सके । अर्थात् केवलज्ञानी की प्रज्ञा द्वारा भी जिसके विभाग- ( अंश) न किये जा सकें, ऐसे सूक्ष्म (निरंश) अंश को अविभाग-परिच्छेद कहते हैं । ज्ञानावरणीयकर्म के अनन्त अविभाग-परिच्छेद कहने का अर्थ 5 है - ज्ञानावरणीयकर्म ज्ञान के जितने अंशों-भेदों को आवृत्त करता है, उतने ही उसके अविभाग-परिच्छेद होते अष्टम शतक : दशम उद्देशक
Eighth Shatak: Tenth Lesson
36. What has been said about Jnanavaraniya karma (knowledge 卐 obscuring karma) of all beings should also be repeated for ultimate fractions of all the eight karma species up to Antaraya karma (power hindering karma) of all living beings up to Vaimanik devs (i.e. each has infinite ultimate fractions).
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