________________
hhf听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F5F5555555555听听听听听听听听听听听
35555555牙牙牙牙牙步步步步步步步步步步步步步步555555555 * [उ. ] गौतम ! अन्यतीर्थिक जो इस प्रकार कहते हैं, यावत् उन्होंने जो ऐसा कहा है वह मिथ्या क कहा है। गौतम ! मैं इस प्रकार कहता हूँ, यावत् प्ररूपणा करता हूँ। मैंने चार प्रकार के पुरुष कहे हैं। वे । इस प्रकार हैं
(१) एक व्यक्ति शील-सम्पन्न है, किन्तु श्रुत-सम्पन्न नहीं है। (२) एक व्यक्ति श्रुत-सम्पन्न है, किन्तु शील-सम्पन्न नहीं है। (३) एक व्यक्ति शील-सम्पन्न भी है और श्रुत-सम्पन्न भी है। (४) एक व्यक्ति न शील-सम्पन्न है और न श्रुत-सम्पन्न है।
(१) इनमें से जो प्रथम प्रकार का पुरुष है, वह शीलवान् है, परन्तु श्रुतवान् नहीं। वह (पापादि से) + उपरत (निवृत्त) है, किन्तु धर्म को विशेष रूप से नहीं जानता। हे गौतम ! इस पुरुष को मैंने देश
आराधक (आंशिक आराधक) कहा है। म (२) इनमें से जो दूसरा पुरुष है, वह पुरुष शीलवान् नहीं, परन्तु श्रुतवान् है। वह पापादि से + (अनिवृत्त) है, परन्तु धर्म को विशेष रूप से जानता है। हे गौतम ! इस पुरुष को मैंने देश-विराधक
(आंशिक विराधक) कहा है। + (३) इनमें से जो तृतीय पुरुष है, वह पुरुष शीलवान् भी है और श्रुतवान् भी है। वह (पापादि से) उपरत है और धर्म का भी विज्ञाता है। हे गौतम ! इस पुरुष को मैंने सर्व-आराधक कहा है।
(४) इनमें से जो चौथा पुरुष है, वह न तो शीलवान् है और न श्रुतवान् है। वह (पापादि से ) अनुपरत है, धर्म का भी विज्ञाता नहीं है। गौतम ! इस पुरुषं को मैंने सर्व-विराधक कहा है। फ़ 2. [Q.] Bhante ! People of other faiths (anyatirthik) or heretics say
(akhyanti) ... and so on up to... propagate (prarupayanti) that-(1) Right conduct (sheel) alone is beneficial; (2) the canon (shrut) alone is beneficial; (3) either the canon (independent of right conduct) is
beneficial or right conduct (independent of the canon) is beneficial. + Bhante ! How far is this correct.
(Ans.] Gautam ! What the heretics say ... and so on up to... propagate is false. Gautam ! What I say ... and so on up to... propagate (in this regard) is that there are four kinds of people as follows
(1) One is endowed with right conduct (sheel) but not with the canon. (2) One is endowed with the canon but not with right conduct. (3) One is endowed with right conduct as well as the canon. (4) One is endowed neither with right conduct nor with the canon.
(1) First of these is endowed with right conduct (sheel) but not with the canon. He refrains from indulgence in sinful activities but is not fully
35555555555555555555555555555555555555555555558
| अष्टम शतक : दशम उद्देशक
(273)
Eighth Shatak : Tenth Lesson
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org