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________________ दसमो उद्देसओ : आराहणा' अष्टम शतक : दशम उद्देशक : 'आराधना' EIGHTH SHATAK (Chapter Eight) : TENTH LESSON: ARAADHANA (SPIRITUAL ENDEAVOUR) श्रुत-शील की आराधना-विराधना SPIRITUAL ENDEAVOUR OF ARIGHTEOUS ASCETIC १. रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी १. राजगृह नगर में यावत् गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछाॐ 1. In Rajagriha and so on up to... (Gautam Swami) submitted as : $ follows, + २. [प्र. ] अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव एवं परूवेंति-एवं खलु सील सेयं १, सुयं सेयं २, सुयं सेयं सील सेयं ३, से कहमेयं भंते ! एवं ? [उ. ] गोयमा ! ज णं ते अनउत्थिया एवमाइक्खंति जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं * पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु मए चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सीलसंपन्ने णामं एगे, णो सुयसंपन्ने १। सुयसंपन्ने नामं एगे, नो सीलसंपन्ने २। एगे सीलसंपन्ने वि सुयसंपन्ने वि ३। एगे णो सीलसंपन्ने नो सुयसंपन्ने ४। (१) तत्थ णं जे से पढमे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं, असुयवं, उवरए, अविण्णायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते। (२) तत्थ णं जे से दोच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं, सुयवं, अणुवरए, विण्णायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते। म (३) तत्थ णं जे से तच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं, सुयवं, उवरए, विण्णायधम्मे, एस णं ॐ गोयमा ! मए पुरिसे सव्वाराहए पण्णत्ते। (४) तत्थ णं जे से चउत्थे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं, असुयवं, अणुवरए, अविण्णायधम्मे एस ॐ गं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वविराहए पण्णत्ते। २. [प्र.] भगवन् ! अन्यतीर्थिक इस प्रकार कहते हैं, यावत् प्ररूपणा करते हैं-(१) शील ही । श्रेयस्कर है; (२) श्रुत ही श्रेयस्कर है, (३) (शीलनिरपेक्ष ही) श्रुत श्रेयस्कर है, अथवा (श्रुतनिरपेक्ष ही) ॐ शील श्रेयस्कर है; अतः हे भगवन् ! यह किस प्रकार सम्भव है ? फफफफ॥4॥॥॥॥5555559555555555555555EETELELETEER 牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%步步EEEEEE | भगवती सूत्र (३) (272) Bhagavati Sutra (3) 步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步$$$$$$$$ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002904
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages664
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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