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३९. [प्र. ] भगवन् ! पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबन्ध कालतः कितने काल तक रहता है ? 5 [उ. ] गौतम ! (वह) सर्वबन्ध एक समय तक रहता है और देशबन्ध जघन्यतः तीन समय कम
क्षुल्लक भव-ग्रहण पर्यन्त तथा उत्कृष्टतः एक समय कम २२ हजार वर्ष तक रहता है। fi 39. (Q.) Bhante ! In terms of time, how long does PrithvikaayikFekendriya-audarik-sharira-prayoga-bandh (bondage related to earthbodied one-sensed gross physical body formation) last?
[Ans.] Gautam ! The bondage of the whole (sarva-bandh) lasts for just one Samaya and the bondage of a part (desh-bandh) lasts for a minimum of three Samaya short of Kshullak-bhava-grahan (time taken in taking rebirths of shortest life-span specific to the body-type) and a maximum of one Samaya short of 22 thousand years.
४०. एवं सव्वेसिं सव्वबंधो एक्कं समयं, देसबंधो जेसिं नत्थि वेउब्बियसरीरं तेसिं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं जा जस्स उक्कोसिया ठिती सा समऊणा कायव्वा। जेसिं पुण अस्थि वेउब्वियसरीरं तेसिं देसबंधो जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं जा जस्स टिती सा समऊणा कायव्वा जाव मणुस्साणं देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं समयूणाई।
४०. इस प्रकार सभी जीवों का सर्वबन्ध एक समय तक रहता है। जिनके वैक्रियशरीर नहीं है, उनका देशबन्ध जघन्यतः तीन समय कम क्षुल्लकभव-ग्रहणपर्यन्त और उत्कृष्टतः जिस जीव की जितनी उत्कृष्ट आयुष्य-स्थिति है, उससे एक समय कम तक रहता है। जिनके वैक्रियशरीर है, उनके देशबन्ध जघन्यतः एक समय और उत्कृष्टतः जिसकी जितनी (आयुष्य) स्थिति है, उसमें से एक समय कम तक रहता है। इस प्रकार यावत् मनुष्यों का देशबन्ध जघन्यतः एक समय और उत्कृष्टतः एक समय कम तीन पल्योपम तक जानना चाहिए।
40. Thus the bondage of the whole (sarva-bandh) for all living beings 6 lasts for just one Samaya. In case of living beings without transmutable body (vaikriya sharira) the bondage of a part (desh-bandh) lasts for a
minimum of three Samaya snort of Kshullak-bhava-grahan (time taken in taking rebirths of shortest life-span specific to the body-type) and a maximum of one Samaya short of the maximum life-span specific to the i class of the being. In case of living beings with transmutable body
(vaikriya sharira) the bondage of a part (desh-bandh) lasts for a minimum of one Samaya a maximum of one Samaya short of the maximum life-span specific to the being. In the same way it goes on up to 'in case of human beings the bondage of a part (desh-bandh) lasts for a minimum of one Samaya a maximum of one Samaya short of three Palyopam.'
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नामानामा
अष्टम शतक : नवम उद्देशक
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Eighth Shatak : Ninth Lesson
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