SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙步步步牙牙牙牙牙牙牙步步步步步步步步步步牙牙牙 ३७९ ३८८ ३९१ ३९२ ३९६ ३४० शुद्ध बोधि का लाभालाभ ३१७ पाँच नैरयिकों के त्रिसंयोगी भंग अनगारिता का ग्रहण-अग्रहण ३१८ पाँच नैरयिकों के चतुःसंयोगी भंग ३८२ ब्रह्मचर्य-वास का धारण-अधारण ३२० पाँच नैरयिकों के पंचसंयोगी भंग ३८४ शुद्ध संयम का ग्रहण-अग्रहण ३२१ छह नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ३८८ शुद्ध संवर का आचरण-अनाचरण ३२२ द्विकसंयोगी १०५ भंग ज्ञान-उपार्जन-अनुपार्जन ३२३ त्रिकसंयोगी ३५० भंग ३८९ ग्यारह बोलों की प्राप्ति और अप्राप्ति ३२६ पंचसंयोगी १०५ भंग ३९० विभंगज्ञान एवं अवधिज्ञान प्राप्त होने षट्संयोगी ७ भंग की क्रमिक प्रक्रिया ३३० सात नैरयिकों के प्रवेशनक भंग पूर्वोक्त अवधिज्ञानी में लेश्या, ज्ञान आदि ३३२ आठ नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ३९४ केवलज्ञान-प्राप्ति का क्रम ३३७ नौ नैरयिकों के प्रवेशनक भंग असोच्चा केवली द्वारा उपदेश-प्रव्रज्या दस नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ३९७ सोच्चा से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर ३४३ संख्यात नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ३९८ केवली आदि से सनकर अवधिज्ञान की असंख्यात नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ४०३ उपलब्धि उत्कृष्ट नैरयिक-प्रवेशनक प्ररूपणा ४०४ तथारूप अवधिज्ञानी में लेश्या आदि ३४५ नैरयिक प्रवेशनकों का अल्पबहुत्व ४०९ सोच्चाकेवली द्वारा उपदेश, प्रवज्या आदि ३४८ तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक : प्रकार और भंग ४१० उत्कृष्ट तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक प्ररूपणा ४११ नवम शतक : बत्तीसवाँ उद्देशक : एकेन्द्रियादि तिर्यञ्च-प्रवेशनकों का गांगेय ३५३-४३१ अल्पबहुत्व ४१२ उपोद्घात ३५३ मनुष्य-प्रवेशनक :प्रकार और भंग ४१३ चौबीस दण्डक ३५४ उत्कृष्ट रूप से मनुष्य-प्रवेशनक प्ररूपणा ४१६ प्रवेशनक : चार प्रकार ३५७ मनुष्य-प्रवेशनकों का अल्पबहुत्व ४१६ नैरयिक-प्रवेशनक निरूपण देव-प्रवेशनक : प्रकार और भंग । ४१६ एक नैरयिक के प्रवेशनक भंग उत्कृष्ट रूप से देव-प्रवेशनक प्ररूपणा ४१८ दो नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ३५९ भवनवासी आदि देवों के प्रवेशनकों का तीन नैरयिकों के प्रवेशनक भंग अल्पबहुत्व चार नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ३६७ नारक-तिर्यञ्च-मनुष्य-देव प्रवेशनकों द्विकसंयोगी ६३ भंग का अल्पबहुत्व त्रिकसंयोगी १०५ भंग चौबीस दण्डकों में सान्तर-निरन्तर-उद्गर्तन चतुःसंयोगी ३५ भंग ३७२ प्ररूपणा पाँच नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ३७७ प्रकारान्तर से चौबीस दण्डकों में पाँच नैरयिकों के द्विसंयोगी ८४ भंग ३७७ उत्पाद-उद्वर्तना ४२३ ३६१ ४१९ ३६८ ४२० ३७० ४२१ (15) 5555555555555555555 555555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002904
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages664
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy