SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ))) )) ) )) १६० ) ) )) ) २९४ Wo ) ))) )) अष्टम शतक : अष्टम उद्देशक : देश-सर्वबन्धकों एवं अबन्धकों का प्रत्यनीक १५३-१९४ अल्प बहुत्व २६८ प्रत्यनीक-भेद-प्ररूपणा १५३ अष्टम शतक : दशम उद्देशक : निर्ग्रन्थ के लिए आचरणीय पंचविध व्यवहार १५७ 'आराधना' २७२-३०५ विविध पहलुओं से ऐर्यापथिक और श्रुत-शील की आराधना-विराधना २७२ साम्परायिक कर्मबन्ध से सम्बन्धित ज्ञान-दर्शन-चारित्र की आराधना का फल २७६ प्ररूपणा पुद्गल-परिणाम के पाँच भेद २८४ बावीस परीषहों का अष्टविध कर्मों पुद्गलास्तिकाय के एकप्रदेश से लेकर में समावेश १७९ अनन्तप्रदेश तक अष्टविकल्पात्मक प्रश्नोत्तर २८५ सर्यों की दरी और निकटता की प्ररूपणा १८७ लोकाकाश के और प्रत्येक जीव के प्रदेश २८९ ज्योतिष्क देवों और इन्द्रों का आठ कर्मप्रकृतियाँ और संसारी जीव २९० उपपात-विरहकाल १९३ आठ कर्मों का परस्पर सहभाव अष्टम शतक : नवम उद्देशक : पुद्गली और पुद्गल का विचार ३०२ 'बंध' १९५-२७१ नवम शतक : प्रथम उद्देशक : बन्ध के दो प्रकार : प्रयोगबन्ध और जम्बूद्वीप ३०६-३०७ विस्रसाबन्ध १९५ प्राथमिक ३०६ विस्रसाबन्ध के भेद-प्रभेद और स्वरूप १९५ नौवें शतक की संग्रहणी गाथा प्रयोगबन्ध : प्रकार, भेद-प्रभेद तथा जम्बूद्वीपनिरूपण ३०६ उनका स्वरूप २०१ शरीरप्रयोगबन्ध के प्रकार नवम शतक : द्वितीय उद्देशक : २०९ ज्योतिष ३०८-३१० वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध के भेद-प्रभेद किस कर्म के निमित्त जम्बूद्वीप आदि द्वीप-समुद्रों में चन्द्र आदि देश बंध-सर्वबन्ध की संख्या ३०८ काल सीमा नवम शतक : तृतीय से तीसवें उद्देशक तक : अन्तर-काल अन्तद्वीप ३११-३१४ अल्प-बहुत्व आहारकशरीर-प्रयोगबन्ध निरूपण उपोद्घात ३११ तैजस् शरीर-प्रयोगबन्ध निरूपण एकोरुक आदि अट्ठाईस अन्तर्वीपक मनुष्य ३११ कार्मणशरीर-प्रयोगबन्ध के भेद-प्रभेद नवम शतक : इकतीसवाँ उद्देशक : का निरूपण २४९ अश्रुत्वा केवली ३१५-३५२ आठ प्रकार के कर्मबन्ध के कारण २४९ उपोद्घात बन्धक-अबन्धक की चर्चा धर्मश्रवण लाभालाभ ३०६ )) ) ) 卐5)4959)))) ३१५ द (14) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002904
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages664
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy