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________________ 5555555555555555555555555555555 ४८६ ४९० ४९१ ४९२ ४९५ ))))))))55555 केवलज्ञानी आत्मप्रत्यक्ष से सब जानते हैं ४२६ जमालि का पृथक् विहार ४८४ नैरयिक आदि की स्वयं उत्पत्ति ४२७ जमालि का श्रावस्ती में और भगवान का भगवान के सर्वज्ञत्व पर श्रद्धा और चम्पा में विहरण पंचमहाव्रत धर्म-स्वीकार ४३० जमालि अनगार के शरीर में रोगातंक ४८७ रुग्ण जमालि की सिद्धान्त-विरुद्ध प्ररूपणा नवम शतक: श्रमणों द्वारा जमालि के सिद्धान्त का म तेतीसवाँ उद्देशक : कुण्डग्राम स्वीकार, अस्वीकार । (ऋषभदत्त और देवानन्दा) ४३२-५०३ जमालि द्वारा सर्वज्ञता का मिथ्या दावा संक्षिप्त परिचय ४३२ गौतम के प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ भगवान की सेवा में वन्दना-पर्युपासनादि के जमालि लिए जाने का निश्चय ४३३ भगवान द्वारा समाधान ४९३ ब्राह्मण-दम्पत्ति की दर्शनवन्दनार्थ मिथ्यात्वग्रस्त जमालि की विराधकता ४९४ जाने की तैयारी ४३५ किल्लिर किल्विषिक देवों में उत्पत्ति देवानन्दा की मातृ-वत्सलता ४३९ किल्विषिक देवों में उत्पत्तिकारण ४९७ ऋषभदत्त द्वारा प्रव्रज्या ग्रहण ४४० जमालि की उत्पत्ति का कारण ५०० देवानन्दा द्वारा दीक्षा ग्रहण ४४३ जमालि का भविष्य ५०२ जमालि चरित्र म क्षत्रियकुमार जमालि ४४४ नवम शतक: दर्शन-वन्दनादि के लिए गमन चौंतीसवाँ उद्देशक : पुरुष प्रवचन-श्रवण और प्रव्रज्या की अभिव्यक्ति ४५० ष का घातक) ५०४-५१५ माता-पिता से दीक्षा की अनुज्ञा ४५१ उपोद्घात ५०४ माता शोकमग्न हुईं ४५३ पुरुष द्वारा अश्वादिघात सम्बन्धी प्रश्नोत्तर ५०४ माता-पिता के साथ जमालि का संलाप ४५४ ऋषिघातक जीवन की चंचलता का कथन ४५६ घातक व्यक्ति को वैरस्पर्श की प्ररूपणा । ५०८ शरीर की नश्वरता का कथन ४५८ जीवों की परस्पर श्वासोच्छ्वासी सम्बन्धी कामभोगों की असारता ४५९ प्ररूपणा धन वैभव की नश्वरता ४६१ श्वासोच्छ्वास करते समय क्रिया-प्ररूपणा ५१२ संयम की दुष्करता ४६२ वृक्षमूलादि कँपाने-गिराने सम्बन्धी क्रिया ५१४ प्रव्रज्या-ग्रहण की अनुमति परिशिष्ट ५१७-५७६ अभिनिष्क्रमण-महोत्सव ४६७ केश मुण्डन ४७० शब्दकोष ५१७ शिविकारोहण ४७३ आगमों का अस्वाध्याकाल ५६८ प्रव्रज्या ग्रहण ४८१ प्रकाशित आगम सूची ५७३ 195555555555555555555555555555555555555555555555 )) ५०६ ५१० )))))))))))))) ४६६ (16) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002904
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages664
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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