________________
1. प्रज्ञा
अन्तराय कर्म का परिषह
1. अरति
यह लोग मुझे प्रश्न पूछ-पूछ कर परेशान कर रहे हैं। इससे अच्छा तो मुझे ज्ञान ही नहीं होता।
अलाभ
आज कहीं से गोचरी नहीं मिली कोई बात नहीं उपवास कर लेता हूँ।
Jain Education International
ज्ञानावरणीय कर्म के परिषह
मेरा मन संयम में नहीं लग रहा मैं क्या करूँ ?
2. अचेल
2. अज्ञान
दर्शन मोहनीय कर्म का परिषह
दर्शन
चारित्र मोहनीय कर्म के परिषह
3. स्त्री
For Private & Personal Use Only
मुझे बार-बार पढ़ने पर भी याद नहीं होता है।
मैं एक तांत्रिक को जानता है जो आपकी बीमारी ठीक कर देगा।
जाऊँ कि.. नहीं जाऊं
4. निषधा
10
www.jainelibrary.org