________________
99
5
))
))))
)))))))))))))))
चित्र-परिचय 10
Illustration No. 10
22 परिषहों का अष्टविध कर्म में समावेश-1 कर्मों के उदय से साधु जीवन में आने वाले कष्टों को परिषह कहते हैं। इन परिषहों को समभाव पूर्वक सहना चाहिए। ये परिषह 22 प्रकार के होते हैं। 22 परिषहों में कौन से परिषह किस कर्म के उदय से होते हैं, उनका वर्णन यहाँ किया गया
(1) ज्ञानावरणीय कर्म के उदय से-1. प्रज्ञा परिषह-विशिष्ट बुद्धि को प्रज्ञा कहते हैं। प्रज्ञा का उत्कर्ष होने पर गर्व करना, अपने से प्रज्ञावानों की प्रज्ञा देखकर मन में विषाद करना। यह प्रज्ञा परिषह है। 2. अज्ञान परिषह-अज्ञान का अर्थ है अल्प ज्ञान या मिथ्या ज्ञान। यह परिषह अज्ञान के सद्भाव और अभाव, दोनों प्रकार से होता है। "मुझे कुछ नहीं आता। मैं अल्प ज्ञानी हूँ।" मन में ऐसा विषाद लाना अज्ञान परिषह है।
(2) अंतराय कर्म के उदय से-अलाभ परिषह-विभिन्न स्थानों पर गवेषणा करने पर भी भिक्षु को भिक्षा का न मिलना अलाभ परिषह है।
(3) दर्शनमोहनीय कर्म के उदय से-दंसण परिषह(श्रद्धा सम्बन्धी)-तीर्थंकर भगवान में और तीर्थंकर भाषित सूक्ष्म तत्त्वों में शंका होना दर्शन परिषह है।
(4) चारित्रमोहनीय कर्म के उदय से सात परिषह आते हैं--1. अरति परिषह-संयम मार्ग पर कठिनाईयाँ आने पर उसमें मन न लगे, उसके प्रति अरुचि उत्पन्न हो वो अरति परिषह होता है। 2. स्त्री परिषह- स्त्री को देखकर मन चंचल होना स्त्री परिषह है। (यह अनुकूल परिषह है)। 3. अचेल परिषह (नग्नता का परिषह)-जीर्ण, अपूर्ण और मलीन आदि वस्त्रों का सद्भाव या अभाव होना अचेल परिषह है। 4.निषद्या परिषह-अपरिचित उद्यान, श्मशान, सूना घर, टूट-फूटा घर,खण्डहर आदि में बैठना निषद्या परिषह है। (क्रमश:)
-शतक 8,3.8, सूत्र 23-28
INCLUSION OF 22 AFFLICTIONS IN EIGHT KARMA SPECIES-1
The hardship caused by fruition of karmas during ascetic life is called affliction. These afflictions should be endured with equanimity. Which of the 22 afflictions is caused by fruition of which karma is described here -
1. With fruition of Jnanavaraniya karma -(1) Prajna-parishaha - Special intellect is called prajna and with its development comes pride. To be disappointed when facing someone more intelligent is a type of Prajna-parishaha. (2) Ajnana-parishaha - Little or false knowledge is ajnana or ignorance. Both cause this affliction. To think that I know nothing or very little, and be disappointed is Ajnana-parishaha.
2. With fruition of Antaraya karma - Alaabh-parishaha (affliction of non-attainment) When an ascetic does not get alms even after seeking at many places it is an example of Aluabhparishaha.
3. With fruition of Darshan-mohaniya karma - Darshan-parishaha (perception/faith related affliction) - To have doubt in Tirthankar and his sermon is an example of Darshan-parishaha.
4. With fruition of Chaaritra-mohaniya (conduct deluding)-(1) Arati-parishaha - Allliction related to disturbance in ascetic-discipline in face of hurdles. (2) Stree-parishaha --Alliction related to attraction for opposite sex. (3) Achela-parishaha-Garb related affliction including shabby dress or absence of the same.(4)Nishadya-parishaha-Accommodation related affliction including staying in unsuitable areas like garden, cremation ground, forlorn house, ruins etc. is called Nishadya- 45 parishaha. (continued...)
- Shatak-8, lesson-8, Sutra-23-28 D))))))))))))))555555555555555550
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org