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ज्ञानी और अज्ञानी का स्थितिकाल SUSTENANCE OF KNOWLEDGE . १३६. [प्र. ] णाणी णं भंते ! ‘णाणि' त्ति कालओ केवच्चिरं होइ ?
[उ. ] गोयमा ! नाणी दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-साइए वा अपज्जवसिए, साइए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जे से साइए सपज्जवसिए से जहन्नेणं अंतोमुहूत्तं, उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं सातिरेगाई।
१३६. [प्र. ] भगवन् ! ज्ञानी 'ज्ञानी' रूप में कितने काल तक रहता है ?
[उ. ] गौतम ! ज्ञानी दो प्रकार के होते हैं-(१) सादि-अपर्यवसित, और (२) सादि-सपर्यवसित। इनमें से जो सादि-सपर्यवसित (सान्त) ज्ञानी हैं, वे जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त तक, और उत्कृष्टतः कुछ अधिक छियासठ सागरोपम तक ज्ञानीरूप में रहते हैं।
136. [Q.] Bhante ! How long does the knowledge of one endowed with knowledge (jnana) last ? ___ [Ans.] Gautam ! Jnanis (those endowed with knowledge) are of two kinds-(1) saadi-aparyavasit (with a beginning and without an end) and (2) saadi-saparyavasit (with a beginning and with an end). Of these, those who are endowed with knowledge having a beginning and an end (saadi-saparyavasit) remain jnani (endowed with right knowledge) for a minimum period of one Antarmuhurt (less than 48 minutes) and a maximum period of slightly more than sixty six Sagaropam.
१३७. [प्र. ] आभिणिबोहियणाणी णं भंते ! आभिणिबोहियणाणी ति कालओ केवचिरं होई?
[उ.] आभिणियबोहिनाणी एवं नाणी, आभिणिबोहियनाणी जाव केवलनाणी, अन्नाणी, मइअन्नाणी, सुयअन्नाणी, विभंगनाणी; एएसिं दसण्ह वि संचिटणा जहा कायठिइए।
१३७. प्र. ] भगवन | आभिनिबोधिक ज्ञानी आभिनिबोधिक-ज्ञानी के रूप में कितने काल तक रहता है ?
[उ.] गौतम ! ज्ञानी, आभिनिबोधिकज्ञानी यावत् केवलज्ञानी, अज्ञानी, मति-अज्ञानी, श्रुत-अज्ञानी और विभंगज्ञानी, इन दस का अवस्थितकाल (प्रज्ञापनासूत्र के अठारहवें) कायस्थितिपद में कहे अनुसार जानना चाहिए। (कालद्वार)
137. [Q.] Bhante ! How long does the knowledge of one endowed with sensual knowledge (abhinibodhik.jnana) last ?
[Ans.] Gautam ! The period of sustenance of knowledge of Jnani, Abhinibodhik jnani... and so on up to... Keval jnani, ajnani, Mati-ajnani, Shrut-ajnani and Vibhang jnani, these ten, should be excerpted from Kaayasthitipad, the eighteenth chapter of Prajnapana Sutra. (Kaaldvar)
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अष्टम शतक : द्वितीय उद्देशक
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Eighth Shatak: Second Lesson
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