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5 3 १३५. [प्र. ] विभंगणाणस्स णं भंते ! केवइए विसए पण्णत्ते ?
[उ. ] गोयमा ! से समासओ चउब्बिहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ। दव्वओ के णं विभंगनाणी विभंगणाणपरिगयाइं दव्वाई जाणइ पासइ। एवं जाव भावओ णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणइ पासइ।
१३५. [प्र. ] भगवन् ! विभंगज्ञान का विषय कितना है ?
[उ. ] गौतम ! विभंगज्ञान विषय संक्षेप में चार प्रकार का है। यथा-द्रव्य से, क्षेत्र से, काल से और भाव से। द्रव्य की अपेक्षा विभंगज्ञानी विभंगज्ञान के विषयगत द्रव्यों को जानता और देखता है। इसी प्रकार यावत् भाव की अपेक्षा विभंगज्ञानी विभंगज्ञान के विषयगत भावों को जानता और देखता है। ____135. [Q.] Bhante ! How wide is the scope (vishaya) of vibhang-jnana : (pervert knowledge) ?
[Ans.] Gautam ! In brief the scope (vishaya) of Vibhang-jnana (pervert knowledge) has four domains—those related to substance or matter (dravya), area or space (kshetra), time (kaal) and state or mode (bhaava). As to substance a living being with Vibhang-jnana knows and sees substances within its scope. The same is true for other domains up to a living being with Vibhang-inana knows and sees states within its scope.
विवेचन : तीन अज्ञानों का विषय : मति-अज्ञानी मिथ्यादर्शनयुक्त अवग्रह आदि रूप तथा औत्पातिकी आदि के बुद्धिरूप मति-अज्ञान के द्वारा गृहीत द्रव्यों को द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव से जानता-देखता है। श्रुत-अज्ञानी
श्रुत-अज्ञान (मिथ्यादृष्टि-परिगृहीत लौकिक श्रुत या कुप्रावचनिकश्रुत) से गृहीत (विषयीकृत) द्रव्यों को कहता __ है, बतलाता है, प्ररूपणा करता है। विभंगज्ञानी विभंगज्ञान द्वारा गृहीत द्रव्यों को द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से जानता है और अवधिदर्शन से देखता है। (वृत्ति, पत्रांक ३५७-३६०)
Elaboration-Scope of three ajnanas : Mati-ajnani-knows and sees things in context of substance, space, time and state observed through processes including unrighteous avagraha (to acquire cursory knowledge) and unrighteous faculties including autpattiki buddhi (spontaneous wisdom) being functions of Mati-ajnana (wrong knowledge). Shrut-ajnani-says, elaborates and propagates information about substances acquired through Shrut-ajnana or the unrighteous heretic knowledge. Vibhang-jnani-knows things in context of substance, space, time and state through pervert knowledge (Vibhang. jnana) and sees the same through Avadhi-jnana. (Vritti, leaf 357-360)
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भगवती सूत्र (३)
(82)
Bhagavati Sutra (3)
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