________________
चिन्तामणि पार्श्वनाथ
सैनिक ने लौटकर बताया।
(हम भी वहाँ जायेंगे।
देखें कौन तपस्वी कैसा यज्ञ कर रहा
राजकुमार! नगर। के बाहर कमठ नाम का तपस्वी पंचाग्नि यज्ञ कर
रहा है। नगर वासी उसी यज्ञ को देखने जा रहे हैं।
वहाँ पहुँचकर पार्श्व कुमार ने तपस्वी को देखा। तपस्वी के चारों ओर अग्निकुण्ड में आग जल रही थी। तपस्वी को देखते ही पार्श्व कुमार को अपने पिछले जन्मों का स्मरण हो गया।
ओह! यह तो वही कमठMAY
है जिसका मेरे साथ पिछले अनेक जन्मों में JAL
सम्बन्ध रहा है।
तभी पार्श्व कुमार ने अपनी दिव्य दृष्टि से अग्निकुण्ड की तरफदेखा।।
अरे! इस अग्निकुण्ड में तो एक सर्प का जोड़ा भी लकड़ियों
के साथ जल रहा है ?
24
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org