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________________ चिन्तामणि पार्श्वनाथ इधर कमठ का जीव अपने दुष्कर्मो का फल जन्म के कुछ समय बाद माता-पिता की मृत्यु हो गई। भोगते हुये पांच जन्मों तक नरक और पशु योनि उसका घर आग से जल गया। बालक को भाग्यहीन की यंत्रणायें सहता हुआ वाराणसी नगर में एक समझकर लोग उसे कमठ कहने लगे। बड़ा होकर गरीब ब्राह्मण के घर जन्मा। जन्म से ही वह बड़ा। समाज से तिरस्कार पाता हुआ कमठ संन्यासी बनकर कुलप था। रात-दिन रोता रहता था। जंगल में कठोर तप करने चला गया। यणका मल एक दिन पार्श्व कुमार महारानी प्रभावती के साथ राजमहल के गवाक्ष में बैठे नगर का अवलोकन कर। रहे थे। उन्हें राजमार्ग पर हजारों लोग आते-जाते दिखाई दिये। उन्होंने सैनिक से कहा लामुलकणकएलाकर जाओ, जाकर पता लगाओ वह भीड़ कहाँ जा रही है? बगर में इतनी हलचल क्यों हैं? 00000 23 www.jainelibrary.org. Jain Education Private & Personal Use Only
SR No.002804
Book TitleChintamani Parshwanath Diwakar Chitrakatha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children Story, & Literature
File Size21 MB
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