SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 428
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पौराणिक अनुशीलन पर प्रस्तुत ग्रन्थकार का अभिमत ४११ अन्य सूची है जो उसे विष्णु से पढ़कर सुनायी गयी थी (अर्थात् १८ प्रमुख पुराण, जिनमें वायु के स्थान पर शैव रख दिया गया है)। पुनः पृ० २२९ पर उसने आदित्य से पृथिवी के नीचे के कुछ भागों का वर्णन किया है और प्रदर्शित किया है कि किस प्रकार इससे वायुपुराण भिन्न है तथा पृ० २४८ पर उसने विष्णु, वायु एवं आदित्य से मेरु के विषय में वर्णन दिया है। अल्बरूनी ने सन् १०३० ई० में अपना ग्रन्थ लिखा, अतः यह प्रतीत होता है कि उसके द्वारा उल्लिखित पुराण कम-से-कम १००० ई० के पूर्व अवश्य उपस्थित हो गये होंगे। प्रो० हज्रा आदि के कुछ लेख आदि, जो पुराणों एवं उपपुराणों पर प्रकाश डालते हैं, डा० पुसल्कर द्वारा एक स्थान पर संगृहीत कर दिये गये हैं, यथा 'स्टडीज़ इन एपिक्स एण्ड पुराणज' (पृ० २१८-२२५), उनमें कुछ का उल्लेख हम करेंगे। प्रो० हज्रा ने लगभग १६ लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कराये, जो उनके ग्रन्थ 'स्टडीज़ इन पुराणिक रेकर्ड्स आव हिन्दू राइट्स एण्ड कस्टम्स' में संगृहीत हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002792
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1971
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy