SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 296
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राशियों के रूप तथा गुण-धर्मो का विकास २७९ हैं ( किसी को कुछ दिखाई पड़ता है किसी को कुछ) । एक ही प्रकार के नक्षत्रों को विभिन्न नाम दे दिये गये हैं । मिस्र के धार्मिक ज्योतिःशास्त्र में बारह राशियों का अभाव है, मिस्त्रियों को सिकन्दर युग के पूर्व राशि ज्ञान नहीं प्राप्त था, इस तरह बहुत थोड़ी सी राशियाँ रोम-काल से प्राचीन ठहरती हैं। असीरिया के लोगों ने ज्योतिष- ज्ञान यूफ़ोट ( दजला - फरात ) की घाटियों में विकसित किया था, अतः अधिक विद्वान् राशि- ज्ञान का उद्गम बेबिलोन में मानने को सन्नद्ध हैं । किन्तु वेब महोदय ऐसा नहीं मानते, वे बेबिलोन को इसका श्रेय न देकर यूनान को ही सभी ज्ञानों का मूल मानते हैं, वे कहते हैं कि यह ज्ञान क्लीयोस्ट्रेटस का दिया हुआ है, जो प्लिनी (या लिनी) के अनुसार ई० पू० ५२० का है । किन्तु वेब महोदय का मत ठीक नहीं है, हम बेबिलोन को ही राशि ज्ञान का श्रेय देने को सन्नद्ध हैं। सब से अन्त में लिखे गये ग्रन्थ 'हिस्ट्री आव साइंस ( १९५३ ई० ) में लेखक श्री सार्टन ने दर्शाया है कि बेबिलोन के लोगों ने क्लीओस्ट्रेटस से सहस्र वर्ष पूर्व ही राशि ज्ञान प्राप्त कर लिया था, क्लीओस्ट्रेटस ने तो केवल राशियों को बराबर विस्तारों में आगे चलकर बाँटा था । यह प्रकट होता है कि मिस्र, मेसोपोटामिया एवं यूनान तीन देशों में मेसोपोटामिया को ही यह श्रेय मिलना चाहिए, जहाँ राशि ज्ञान का सर्वप्रथम उदय हुआ । भारत के विषय में हम आगे लिखेंगे। राशिनाम मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धन् मकर कुम्भ मीन दिशा के स्वामी पूर्व दक्षिण पश्चिम उत्तर पूर्व दक्षिण पश्चिम उत्तर पूर्व दक्षिण पुरुष या स्त्री चर या स्थिर पुरुष स्त्री Jain Education International पु० स्त्री पु० स्त्री पु० स्त्री पु० स्त्री पश्चिम पु० उत्तर स्त्री राशि- विभाजन - विभिन्न ढंग दिनबली या निशाबली चर स्थिर द्विस्वभाव चर स्थिर द्विस्वभाव नि० नि० नि० नि० दि० दि० चर दि० स्थिर दि० द्विस्वभाव नि० चर नि० स्थिर दि० द्विस्वभाव दि० सौम्य या क्रूर क्रूर सौम्य K क्रूर सौम्य क्रूर सौम्य क्रूर सौम्य K E K E क्रूर सौम्य क्रूर सौम्य For Private & Personal Use Only पृ० पृ० पृष्ठोदय या शीर्षोदय शी० पृ० शी० शी० शी० शी० पृ० पृ० बृहज्जातक (१।१०-११ ) ने थोड़े में उपर्युक्त बातों पर प्रकाश डाला है और उत्पल ने पारिभाषिक विषयों की व्याख्या की है। शीर्षोदय राशि में की गयी रण-यात्रा से वांछित फल मिलते हैं, किन्तु पृष्ठोदय राशि में ऐसा करने से हार होती है और अपनी सेना का संहार होता है। जो लोग क्रूर राशि में उत्पन्न होते हैं वे क्रूर स्वभाव के तथा सौम्य राशि वाले मृदु स्वभाव के और पुरुष राशि में उत्पन्न लोग साहसी एवं स्त्री राशि वाले मृदु स्वभाव के शी० दोनों (उभयोदय ) www.jainelibrary.org
SR No.002792
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1971
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy