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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org संख्या वैदिक नाम १ कृत्तिका कृत्तिका अग्नि २ रोहिणी | रोहिणी प्रजापति मृगशीर्ष मृगशीर्ष | सोम ३ ४ नक्षत्रों की सूची, उनके नाम, देवता आदि वर्तमान | वैदिक । तै० सं० | तै० ब्रा० | तै० ब्रा० | अथर्ववेद काठक सं० मंत्रायणी नाम ११५ ३।१।४ - ५ १९।७। देवता ४|४|१०| १-३ २-५ आर्द्रा ६ तिष्य कृत्तिका कृत्तिका कृत्तिका किसी नक्षत्र के देवता का नाम नहीं रोहिणी रोहिणी मृगशीर्ष | इन्वका आर्द्रा रुद्र आर्द्रा बाहु पुष्य ५ पुनर्वसु पुनर्वसु | अदिति पुनर्वसु पुनर्वसु पुनर्वसु पुनर्वसु बृहस्पति तिष्य तिष्य वेदाग३९।१३ | सं० २। ज्योतिष कृत्तिका कृत्तिका अग्नि १३।२० | २५-२६ (ऋ० ), ३६।४० य० केवल देवनाम रोहिणी मृगशीर्ष मृगशीर्ष इन्वका इन्वका सोम या इन्वका (देवता, (देवता, मरुत) मरुत ) आर्द्रा आर्द्रा बाहु रोहिणी रोहिणी रोहिणी प्रजापति स्त्रीलिंग तिष्य पुष्य तिष्य बाहु रुद्र लिंग तिष्य स्त्रीलिंग तै० सं० (३१११४११ ) में सात नाम हैं, यथा अम्बा, दुला आदि ( बहुला) नपुंसक लिंग पुनर्वसु पुनर्वसु अदिति पुल्लिंग तारों की संख्या १ १ बहुवचन, ० ब्रा० ११५, काठक, मैत्रा० स्त्रीलिंग २ ( तै० ब्रा० १ ५ ), तै०सं०, काठ०, मंत्रा ० (पुंल्लिंग) २ पुल्लिंग १ काठ० एवं मंत्रा० बृहस्पति पुल्लिंग १ २५२ धर्मशास्त्र का इतिहास
SR No.002792
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1971
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size18 MB
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