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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ७ ८ ९ आश्रपा | आलेश्षा सर्पाः पितरः अर्थमा मघा १० फाल्गुनी १५ मघा फाल्गुनी पूर्वा फाल्गुनी उत्तरा भग फाल्गुनी | इन्द्र वायु अनुराधा अनुराधा मित्र १६ रोहिणी ज्येष्ठा १७ विचृतौ मूल आश्रूषा | आषा मघा मघा फाल्गुनर्वा फाल्गुनी पितरः फाल्गुनी उत्तर फाल्गुनी ११ हस्त हस्त सविता हस्त हस्त हस्त १२ चित्रा चित्रा चित्रा चित्रा १३ स्वाती स्वाती स्वाती आश्रूषा | आश्लेषा । आश्लेषा आश्लेषा | सर्पाः पितरः फाल्गुनीः फाल्गुनीः भग (भग, (भग, देवता) देवता ) मघा फाल्गुनी | पूर्वा मघा फाल्गुनी གྲྭ་ ཝཱ ཎྜཱ फाल्गुनी चित्रा हस्त चित्रा ( त्वष्टा) निष्टया निष्ट्या स्वाती (वायु) (वायु) अवर्णित उत्तरा मघा रोहिणी रोहिणी ज्येष्ठा इन्द्र विचृतौ मूलवणी मूल मूलम् ( पितरः ) (निर्ऋति) मघा ज्येष्ठा फाल्गुनी अर्थमा फाल्गुनी: (दे० (अर्यमा ) | अर्थमा ) ! हस्त हस्त १४ विशाखा विशाखा इन्द्राग्नी विशाखे विशाखे विशाखे विशाखे विशाखम् विशाखम् इन्द्राग्नी स्त्रीलिंग २ नपुंसक लिं०, काठ०, मंत्रा० सविता चित्रा चित्रा ( त्वष्टा) ( त्वष्टा) निष्ट्या निष्ट्यम् वायु (वायु) अनुराधा अनुराधा अनुराधा अनुराधा अनुराधा अनुराधा मित्र ज्येष्ठा ज्येष्ठा (इन्द्र) (वरुण) त्वष्टा मूलम् मूलम् (निर्ऋति) (निर्ऋति) स्त्रीलिंग बहुवचन स्त्रीलिंग बहुवचन स्त्रीलिंग बहुवचन, २ (अथर्व०, तै० ब्रा० १५, ३१; १ ( तै० सं० ) इन्द्र स्त्रीलिंग १ २ ते ० ब्रा० १|५|३|१|४|१० पुल्लिंग १; काठ० में २ स्त्रीलिंग १ स्त्रीलिंग १ नपुंसक लिंग मत्रा० स्त्रीलिंग बहुवचन, पुल्लिंग, तै० ब्रा० ३|१|५|१ स्त्रीलिंग १ पुल्लिंग या स्त्रीलिंग, २ ( विचृतौ), नपु० १ मूल, काठ०, to ब्रा०३।१।५।३, स्त्री ० १ (मूलबर्हणी ) नक्षत्रों का प्राचीन उल्लेख २५३
SR No.002792
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1971
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size18 MB
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