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धर्मशास्त्र का इतिहास
शास्त्र पूर्णरूपेण स्वतन्त्र है और इस पर कोई बाहरी छाप नहीं है।* अन्य ग्रन्थ या लेख ये हैं-डेविस का 'एस्ट्रॉनॉमिकल कम्प्यूटेशंस आव दि हिन्दूज' (एशियाटिक रिसर्चेज', जिल्द ३ पृ० २०९-२७७); बेण्टली का 'हिस्टॉरिकल व्यू आव हिन्दू एस्ट्रॉनॉमी' (वही, जिल्द ६, पृ० ५३७-५८८); कोलबुक के 'मिसलेनिएस एसेज़' (जिल्द २, पृ० ३२१३७३); वारेन का 'काल-संकलित'; जविस का 'इण्डियन मेट्रालॉजी'; बृहत्संहिता पर कर्न की भूमिका; बर्गेस, ह्विटनी (जे० ए० ओ० एस०, जिल्द ६, पृ० १४१-४९८); और देखिए वही, जिल्द ८ (पृ० १-९४); वराहमिहिर की पंचसिद्धान्तिका (थिबो एवं सुधाकर द्विवेदी द्वारा सम्पादित); प्रो० वेबर का 'उब डेन वेदकैलेण्डर, नामेंस ज्योतिषम्', र का ऋग्वेद; बाल गंगाधर तिलक का 'ओरायन' एवं 'आर्कटिक होम इन दि वेदाज'; थियो का 'इण्डियन ऐस्ट्रॉनामी, ऐस्ट्रॉलॉजी एण्ड मैथमेटिक्स'; अलबरूनी का 'इण्डिया'; इण्डियन एण्टीक्वेरी (जिल्द २३, पृ० १५४-१५९; जिल्द २४, पृ० ८५-१००); इण्डियन हिस्टोरिकल क्वार्टरली (जिल्द ४, १९२८, पृ० ६८-७७); वही (जिल्द ५, पृ० ४७९-५१२); मेनन का 'ऐंश्येण्ट ऐस्ट्रॉनामी एवं कॉस्मामॉनी'; दत्त एवं सिंह का 'हिस्ट्री आव हिन्दू मैथेमेटिक्स'; दफ्तरी का 'भारतीय-ज्योतिःशास्त्र-निरीक्षण।' इसी प्रकार बहुत से लेख एवं ग्रन्थ प्रकाशित हैं।
* यह प्रसिद्ध मराठी ग्रन्थ पं० विश्वनाथ झारखण्डी द्वारा हिन्दी में अनूदित होकर 'हिन्दी समिति द्वारा (सन् १९६३ में द्वितीय आवृत्ति) प्रकाशित हो चुका है।
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