________________
१५९४
धर्मशास्त्र का इतिहास
द्वारा व०।
७ काण्ड हैं, किन्तु एक पाण्डु० में उपर्युक्त काण्ड राजनीतिप्रकाश----मित्र मिश्र द्वारा। वीरमित्रोदय का हैं। १६४०-१६७० ई०। बीकानेर (पृ० ४४५
एक अंश। चौखम्भा सं० सी० द्वारा प्रका०। ४४७)।. राजनीतिप्रकाश--रामचन्द्र अल्लडीवार द्वारा।
रामकौतुक----निर्णयामत एवं नि० सि० में व०। राजनीतिमयूख----नीलकण्ठ का नीतिमयूख ही है। रामतत्त्वप्रकाश--सायण कृत माना गया है। राजनीतिशास्त्र-चाणक्य द्वारा। ८ अध्याय एवं लग० रामदेवप्रसाद--(उर्फ गोत्रप्रवरनिर्णय) शम्भुदेव के पुत्र
५६६ श्लोकों में। विट० एवं कीथ (२, पृ० १८२)। विश्वनाथ या विश्वेश्वर द्वारा। शक सं० १५०६ राजभूषणी---- (नृपभूषणी) रामानन्द तीर्थ द्वारा। मनु- (१५८४ ई.) में प्रणीत ।
स्मृति की कुल्लूककृत टीका का उल्लेख है। - रामनवमीनिर्णय----गोपालदेशिक द्वारा। नि० सि० उ० राजमार्तण्ड-भोज द्वारा। दे० प्रक० ६४। ड का है।
(सं० ३४२, १८७९-८०) में राजमार्तण्ड ग्रन्थ है, रामनवमीनिर्णय-विठ्ठलदीक्षित द्वारा। जिसमें धर्मशास्त्र-सम्बन्धी ज्योतिष का उल्लेख रामनाथपद्धति---रामनाय द्वारा। है और व्रतबन्धकाल, विवाहशुभकाल, विवाहराशि- रामनित्यार्चनपद्धति-..-चतुर्भुज द्वारा। योजनविधि, संक्रान्तिनिर्णय, दिनक्षय, पुरुषलक्षण, रामनिबन्ध----दीक्षितबा के पुत्र थीभवनन्दात्मज मेषादिलग्नफल के विषय हैं। पाण्डु० की तिथि ___क्षेमराय द्वारा। १७२० ई० में प्रणीत (अलवर, सं० १६५५ चैत्र (१५९८ ई० एप्रिल) है। टी० ___ सं० १४३१)। गणपति द्वारा।
रामपूजाविधि--क्षेगराज द्वारा। अलवर (सं० १४३२ राजलासक---सरस्वतीविलास में व० (मैसूरसंस्करण,
करण, एवं उद्धरण ३४१)। पृ० २१)।
रामपूजापद्धति---रामोपाध्याय द्वारा। स्टीन (पृ० राजवल्लभ--(सूत्रधार मण्डनमिश्र द्वारा?) महादेव १०१)। के मुहूर्तदीपक में व०।
रामप्रकाश--(१) कालतत्त्वार्णव पर एक टी०। (२) राजाभिषेक-अनन्त द्वारा।
कृपाराम के नाम पर संगृहीत धार्मिक व्रतों पर एक राजाभिषेकप्रयोग- (नीलकण्ठ के नीतिमयूख से)। निबन्ध; कृपाराम यादवराज के पुत्र, माणिक्यचन्द्र राज्याभिषेक--(टोडरानन्द से)।
के राजकूल के वंशज एवं गौडक्षत्रकूलोदभव कहे गये राज्याभिषेकपद्धति-दिनकरोद्योत का एक भाग। हैं; वे जहाँगीर एवं शाहजहाँ के सामन्त थे। इण्डि० राज्याभिषेकपद्धति--अनन्तदेव द्वारा।
आ० (जिल्द ३, पृ० ५०२) के मत से काशीनाथ राज्याभिषेकपद्धति--विश्वकर्मा के पुत्र शिव द्वारा। के पुत्र एवं रामदेव चिरञ्जीव के पिता राघवेन्द्र इस राज्याभिषेकप्रयोग-रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर द्वारा। ग्रन्य के वास्तविक प्रणेता थे। हेमाद्रि, माधव एवं दे० प्रक० १०६।
गौड के लेखकों का आधार लिया गया है। अलवर राज्याभिषेकप्रयोग---माधवभट्ट के पुत्र रघुनाथ सम्राट्- (नं० १४३३) के मत से यह कालतत्त्वविवेचन पर स्थपति द्वारा।
आधारित टीका है। किन्तु इण्डि० आ० के विवरण रामकल्पद्रुम---कमलाकर के पुत्र अनन्तभट्ट द्वारा। से ऐसा नहीं प्रतीत होता।
दस काण्डों में विभक्त, यथा क्रम से--काल, श्राद्ध, रामप्रसाद--देखिए 'तीर्थरत्नाकर'। प्रत, संस्कार, प्रायश्चित्त, शान्ति, दान, आचार, रामानुजनित्यकर्मपति----दे० पीटर्सन (छठी रिपोर्ट, राजनीति एवं उत्स। औफेस्ट के मत से केवल पृ० १०७)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org