SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 600
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची टी० शूलपाणि की दीपकलिका (दे० प्रक० ९५ ) । टी० वीरमित्रोदय, मित्र मिश्र द्वारा दे० प्रक० १०८ (चौखम्भा से एक अंश प्रका० ) । याशिककमलाकरी - सें० प्रा० (सं० ४४१४) । यात्राप्रयोगतत्व -- हरिशङ्कर द्वारा । यात्राविवाहाद्युपायतो० न्यू० (जिल्द २, पृ० १४९ ) । युक्तिकल्पतर - भोजदेव कृत । शासन एवं राजनीति के विषयों पर, यथा —— दूत, कोष, कृषिकर्म, बल, यात्रा, सन्धि, विग्रह, नगर-निर्माण, वास्तुप्रवेश, छत्र, ध्वज, पद्मरागादिपरीक्षा, अस्त्र-शस्त्र परीक्षा, नौका- लक्षण आदि पर स्वयं भोज, उशना, गर्ग, बृहस्पति, पराशर, वात्स्य, लोहप्रदीप, शाङ्गवर एवं कतिपय पुराणों का हवाला दिया गया है। कलकत्ता ओ० सी० (सं० १) द्वारा प्रका० । युगाणंव सें० प्रा० (सं० ४४१८) । युखकुतूहल । युद्धकौशल - रुद्र द्वारा । युद्धचिन्तामणि -- रामसेवक त्रिपाठी द्वारा । युद्धजयप्रकाश दुःखभञ्जन द्वारा । युद्धजयार्णव -- रघु० के ज्योतिस्तत्त्व में व० । युद्धजयार्णव- अग्निपुराण ( अध्याय १२३ - १२५) से। युद्धजयोत्सव - गंगाराम द्वारा, पाँच प्रकाशों में । अलवर (उद्ध० ५५१) । युद्धयात्रा - रघु० के ज्योतिस्तत्त्व में व० । युद्धरत्नावली : रंगनाथवेशिकांह्निक-- रंगनाथदेशिक द्वारा । रजतवानप्रयोग - कमलाकर द्वारा । रत्नकरण्डिका-द्रोण द्वारा ह० प्र० ( पृ० १०-११, पाण्डु तिथि सं० १९८९ अर्थात् १९३२-३३ ई० ) । वाजसनेयियों के कृत्यों पर । ड० का० (२७३, १८८६ - ९२) की पाण्डु ० अपूर्ण है, इसमें प्रायश्चित्त, स्पृष्टास्पृष्टप्रकरण, शावाशौच, श्राद्ध, गृहस्थाश्रमधर्म, Jain Education International १५९३ दाय, ऋण, व्यवहार, दिव्य, कृच्छ्र आदि पर विवेचन हैं । रत्नकोश - हेमाद्रि ( ३।२।७५० ), रघु० तत्त्व) एवं टोडरानन्द द्वारा व० । रत्नदीपविश्वप्रकाश । युद्धजयोत्सव --- टी० अज्ञात । टी० मथुरानाथ शुक्ल राघवभट्टीय - नि० सि० में व० । द्वारा। टी० रामदत्त द्वारा । रत्नमाला - - शतानन्द द्वारा ; ज्योतिस्तत्त्व (जिल्द १, पु० ५९६ ) में व० | रत्नमाला - रघु० (शुद्धितत्त्व), गोविन्दार्णव, निर्णयदीप में व० । सम्भवतः श्रीपति या शतानन्द का ग्रन्थ । रत्नसंग्रह -- नि० सि० में व० । रत्नसागर - नि० सि० में व० । रत्नाकर -- दे० प्रक० ( चण्डेश्वर ) ९० । रत्नाकर - गेपाल द्वारा । मलमास रत्नाकर -- रामप्रसाद द्वारा। स्टीन ( पृ० १००) में प्रायश्चित्त का अंश है । रत्नार्णव -- रघु० द्वारा व० । रत्नावलि -- हेमाद्रि ( ३।२।८५७) एवं रघु० ( मलमासतत्त्व) में व० । रथसप्तमीकालनिर्णय | रविसंक्रान्तिनिर्णय --- माधव के पुत्र रघुनाथ द्वारा । रसामृत सिन्धु -- सदाचारचन्द्रिका ( सम्भवतः भक्ति पर ) में व० । राजकौस्तुभ -- (या राजधर्मको स्तुभ ) अनन्तदेव द्वारा । दे० प्रक० १०९ । राजधर्म सारसंग्रह - तंजौर के तुलाजिराज कृत कहा गया है (१७६५-१७८८)। राजनीति अज्ञात । राजनीति — देवीदास द्वारा । राजनीति-भोज द्वारा । राजनीति - वररुचि ( ? ) द्वारा । 'धन्वन्तरि.... आदि नवरत्नों के प्रसिद्ध श्लोक से इसका आरम्भ है । दे० बर्नेल (तंजौर, पृ० १४१ बी ) । राजनीति - काशी के हरिसेन द्वारा । राजनीतिकामधेनु चण्डेश्वर के राजनीतिरत्नाकर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy