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धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची
प्रन्यविधानधर्मकुसुम शंकरशर्मा द्वारा । ग्रहणक्रियाक्रम ।
ग्रहण निर्णय -- नारायण भट्ट के प्रयोगरत्न से । प्रहणश्राद्धनिर्णय ।
प्रहवानप्रयोग - माधव का उल्लेख है । ग्रहमल तिलक - भारद्वाज गोत्रीम कृष्णाचार्य के पुत्र माधव द्वारा। पीटर्सन की पाँचवीं रिपोर्ट ( पृ० १७६) । ग्रहमखप्रयोग - नो० (१०, पृ० २०० ) । प्रयशकारिका ।
ग्रहपशतस्व-रघुनन्दन द्वारा । दोपिका का उल्लेख है । ग्रहयज्ञदीपिका -- सदाशिव दीक्षित द्वारा । प्रहपक्षपद्धति ।
ग्रहयज्ञनिरूपण - अनन्तदेव कृत संस्कारकौस्तुभ से । प्रहयज्ञप्रयोग ।
प्रहयज्ञविधान -- नागदेव भट्ट के पुत्र अनन्तदेव भट्ट द्वारा । प्रयागकौमुदी - - रामकृष्ण भट्टाचार्य द्वारा । ब्रयागप्रयोगतत्व --- ( या ग्रहयागतत्त्व) हरिभट्ट के पुत्र रघुनन्दन द्वारा । कलकत्ता से संस्कृत साहित्य परिषद् द्वारा बंगला लिपि में मुद्रित ( नं० १० ) । यह रघुनन्दन के २८ तत्त्वों से ऊपर एक तत्त्व है । ग्रहयोगशान्ति ।
ग्रहशान्ति -- शांखायन एवं गोभिल के मतानुसार । ब्रहशान्तिपद्धति -- ( या वासिष्ठीशान्ति ) हरिशंकर के पुत्र गणपति रावल द्वारा । लग० १६८६ ई० । ग्रहस्थापनपद्धति--पीटर्सन की पाँचवीं रिपोर्ट ( पृ० ९८) ।
प्रामनिर्णय --- ( या पातित्यग्राम निर्णय ) स्कन्दपुराण के सह्याद्रिखण्ड से ।
धृतप्रदान रत्न-- प्रेमनिधि द्वारा ।
नारायणीय-- शूलपाणि के दुर्गोत्सवविवेक में व० । अतः १४०० ई० से पूर्व । चक्रनारायणीय निबन्ध - ( या स्मृतिसारोद्धार) विश्वम्भर त्रिवेदी द्वारा । १२ उद्धारों में, यथा--- सामान्यनिर्णय, एकभक्तादिनिर्णय, तिथिसामान्यनिर्णय, प्रतिपदादि तिथिनिर्णय, व्रत, संक्रान्ति, श्राद्ध,
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आशीच, गर्भाधानादि कालनिर्णय, आह्निक, व्यवहार, प्रायश्चित्त ! भीम मल्ल के पुत्र नारायण मल्ल की आज्ञा से लिखित | प्रतापमार्तण्ड, होरिलस्मृति, रूपनारायणीय, अनन्तभट्टीय का उल्लेख है । १७वीं शताब्दी पूर्वार्ध; चौखम्बा सं० सी० । चण्डिकार्चनदीपिका --- काशीनाथ भट्ट द्वारा, जो भट्टकुल के शिवरामभट्ट के पुत्र जयरामभट्ट के पुत्र थे । अलवर (उद्धरण, ६२० ) ।
चण्डीप्रयोग-- रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर द्वारा । चण्डीप्रयोग --नागोजिभट्ट द्वारा । चण्डकनिबन्ध--- ( या स्मार्त कर्मानुष्ठानक्रमविवरण )
महामात्य श्री सम्राट् चण्डूक द्वारा । श्राद्ध, मलमास, त्रयोदशीनिर्णय, आह्निक आदि पर बड़ोदा (सं० २९६) । तिथि सं० १५९३ । चतुरशीतिज्ञातिप्रशस्ति-- सदाशिव द्वारा । चतुर्थीकर्म -- ( विवाह के उपरान्त चौथी रात्रि के कृत्यों पर)। चतुर्दशश्लोकी-भट्टोजि द्वारा । बड़ोदा (सं० १४८८), श्राद्ध पर १४ श्लोक । टी० महेश्वर द्वारा । चतुर्वर्ग चिन्तामणि -- हेमाद्रि कृत । दे० प्रक० ८७ (बिब्लि० इण्डि० सी०), हुल्श (सं० ६५८ ) । इसमें प्रायश्चित्त एवं व्यवहार है, किन्तु बहुत सम्भव है कि ये किसी अन्य लेखक के हैं। तुविशतिमत-- ( या स्मृति ) । दे० प्रक० ४२ । टी० भट्टोज द्वारा (बनारस सं० सी० में संस्कार एवं श्राद्ध भी है; इण्डि० आ० ( पाण्डु०, पृ० ४७५) में केवल संस्कार काण्ड है, जहाँ यह नारायण भट्ट के पुत्र रामचन्द्र की कही गयी है। आह्निक, आचार एवं प्रायश्चित्त काण्ड की पाण्डुलिपियाँ भी प्राप्त हैं । टी० नारायण के पुत्र रामचन्द्र द्वारा । चतुविशतिमुनिमतसार - बड़ोदा (सं० २२४७ एवं १०५४०) । चतुविशतिस्मृतिधर्मसारसमुच्चय । चतुश्चत्वारिंशत्संस्काराः ।
चन्दनधेनुदानप्रमाण -- ( या तरत्र ) वाचस्पति द्वारा,
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