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________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची १५३५ कृत्यार्णव-देवदासप्रकाश में वर्णित। क्रमदीपिका-वर्षक्रियाकौमुदी (पृ० १२१) एवं देवकृष्णपति-चतुर्भुज द्वारा। प्रतिष्ठातत्त्व में वर्णित। १५०० ई० के कृष्णभक्तिकल्पवल्ली-(या भक्तिमंजरी या हरिभक्ति- पूर्व। __ मजरी) चार भागों में। क्रमदीपिका--(कृष्ण-पूजा पर) केशवाचार्य द्वारा ८ कृष्णभट्टीय-यह कर्मतत्त्वप्रदीपिका ही है। यह पटलों में। लग० १५०० ई० में। टी० केशवनारायण भट्ट के प्रयोगरत्न में एवं आह्निकचन्द्रिका भट्ट गोस्वामी द्वारा। टी० गोविन्दभट्ट द्वारा में व० है। १५०० ई० से पूर्व । (चौखम्भा सं० सी०)। कृष्णार्चनचन्त्रिका-सञ्जीवेश्वर के पुत्र रत्नपाणि क्रमदीपिका--नित्यानन्द द्वारा। द्वारा। क्रियाकाण्डशेखर-हेमाद्रि में व०। कृष्णामृतमहार्णव-आनन्दतीर्थ द्वारा। नो० (न्यू०, क्रियाकरवचत्रिका। जिल्द ३, भूमिका पृ० ६)। क्रियाकौमुदी--गोविन्दानन्द द्वारा (बिग्लि० इण्डि०)। केशवार्णव-केशव द्वारा। दे० प्रक० १०१। कोटचक्र-चार प्रकार के दुर्गों पर। क्रियाकौमुदी-मयुरानाथ द्वारा। कोटिहोमप्रयोग-नारायण भट्ट के पुत्र रामकृष्ण क्रियानिबन्ध--शूद्रकमलाकर में व०। द्वारा। क्रियापति--विश्वनाथ द्वारा। मृत्यु-दिन से सपिण्डीकौतुकचिन्तामणि--प्रतापरुद्रदेव द्वारा। इन्द्रजाल, करण तक के (माध्यन्दिनीयों के लिए) कृत्यों का राजा के रक्षण-उपायों तथा स्त्रियों, पौधों, भोजन विवरण है। ड० का० (पाण्डु०, सं० २०७, पर आश्चर्यजनक एवं रम्य प्रयोग, चार दीप्तियों १८८४-८७)। में। नो० ९, पृ० १८९-१९० एवं ड० का० (पाण्डु० क्रियापद्धति-या षडब्दप्रायश्चित्तादिपद्धति। नो०, स० ९८१, १८८७-९१; १०३१, १८८४-८७)। १०, पृ० २३७ । लग० १५२० ई०। क्रियाप्रदीप। कौमुदीनिर्णय। क्रियाश्रय--(धर्मविषयक ज्योतिष ग्रन्थ) अपराक कौशिकगृह्यसूत्र--१४ अध्यायों में (ब्लूमफील्ड द्वारा द्वारा व०। सम्पादित, १८८९ ई०), टी० भट्टारिभट्ट द्वारा। क्रियासार--नि० सि० एवं कुण्डमण्डपसिद्धि द्वारा व०; टी० दारिल द्वारा। टी. वासुदेव द्वारा। १६०० ई० के पूर्व । कौशिकगृह्यसूत्रपद्धति-केशव द्वारा, जो सोमेश्वर क्षत्रियसन्ध्या। के पुत्र एवं अनन्त के पौत्र थे। भोजपुर में प्रणीत क्षयमासकृत्यनिर्णय। (स्टीन, पृ० २४८)। क्षयमासनिर्णय। कौशिकसूत्रप्रयोगदीपिकावृत्ति। क्षयमाससंसर्पकार्याकार्यनिर्णय--परशुराम द्वारा। स्टीन, कौशिकस्मृति--निर्णयदीपक, मस्करिभाष्य (गौतम पृ० ८७। पर), हेमाद्रि, माधव द्वारा व०। क्षयमाससंसर्पकार्याकार्यनिर्णयखण्डन-परशुराम द्वारा। कौषीतकिगृह्यकारिका। स्टीन, पृ० ८७। कौषीतकिगृह्यसूत्र--(बनारस सं० सी० में प्रकाशित) क्षयमासादिविवेक--गंगोली संजीवेश्वर के पुत्र 'रत्नदे० शांखायन गृह्यसूत्र । पाणि शर्मा द्वारा; मिथिला के छत्रसिंह के राज्यऋतुस्मृति-मिताक्षरा द्वारा व०। काल में प्रणीत। वाचस्पति, वर्षमान, अनन्तपण्डित, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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