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कथित उपवासों, भोजों एवं उनके सम्बन्ध के कृत्यों के विषय में एक तालिका । कृत्यचिन्तामणि -- चण्डेश्वर द्वारा; गृहस्थरत्नाकर में (लेखक की कृति ) वर्णित; दे० प्रकरण ९० । इसमें तारादिशुद्धि, गोचर, वेवशुद्धि, संवत्सर, करण, नक्षत्र, मुहूर्त, अधिमास, गर्भाधान एवं अन्य संस्कारों, मूलशान्ति, षष्ठी की पूजा, शनैश्चरचार, संक्रान्ति ग्रहणफल का विवरण उपस्थित किया गया है। कृत्यचिन्तामणि -- वाचस्पति द्वारा ; दे० प्रकरण ९८ । कृत्यचिन्तामणि -- विश्राम के पुत्र शिवराम शुक्ल द्वारा ।
सामवेद के अनुयायियों के लिए पाँच प्रकाशों में । गोभिलगृह्य पर आधारित; इसमें परिभाषा, वृद्धिश्राद्ध, गणेशपूजा, पञ्चमहायज्ञ, अष्टका एवं संस्कारों का विवरण है। स्टीन, भूमिका, पृ० १५ एवं पृ० ८६ (जहाँ तिथिशक सं० १५६२ है, किन्तु बिहार०, जिल्द १, सं० ७२ एवं जे० बी० ओ० ए० एस०
१९२७, भाग ३-४, पृ०९ में तिथि शक सं० १५०० है) । कृत्यतत्त्व --- रघुनन्दन द्वारा । कृत्यतत्त्व ---- ( प्रयोगसार) कृष्णदेव स्मार्तवागीश द्वारा । कृत्यतत्त्वार्णव ~~ (कृत्यकालविनिर्णय ) श्रीकराचार्य के पुत्र श्रीनाथ द्वारा। इसमें शुद्धितत्त्व, प्रायश्चित्ततत्त्व, निर्णयसिन्धु, रामप्रकाश का उल्लेख है और महार्णव के उद्धरण भी हैं। लगभग १४७५-१५२५ ई० । कृत्य दर्पण -- रामचन्द्र शर्मा के पुत्र आनन्द शर्मा द्वारा । लेखक के व्यवस्थादर्पण में वर्णित । कृत्यदीप -- देवदासप्रकाश में वर्णित । कृत्यपूर्तिमञ्जरी -- -- रामचन्द्र द्वारा । बम्बई में १८५५ ई० में मुद्रित ।
कृत्यदीप -- कृष्ण मित्राचार्य द्वारा । कृत्यप्रदीप - केशवभट्ट द्वारा। संभवतः यह वही है जिसे शुद्धितत्त्व, श्राद्धतत्त्व तथा अन्य तत्त्वों में उद्धृत किया गया है।
धर्मशास्त्र का इतिहास
कृत्यमञ्जरी - महादेव केलकर के पुत्र बापूभट्ट द्वारा । तिथि शक सं० १६४०, पौषमास । वर्ष के १२ मासों के व्रत, नित्य, नैमित्तिक एवं काम्य, संक्रान्ति, ग्रहण
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आदि का विवरण है । सप्तर्षि (आधुनिक सतार) में लिखित | नो० (जिन्द १०, पृ० २१७ - २१९ ) । कृत्यमहार्णव -- मिथिला के हरिनारायणदेव के संरक्षण में वाचस्पतिमिश्र द्वारा । व्रतों, भोजों आदि का विवरण । आचारमयूख में वर्णित । दे० प्रकरण ९८ । कृत्यमुक्तावली - दे० सत्कृत्यमुक्तावली । कृत्यरत्न -- निर्णयसिन्धु एवं श्राद्धमयूख में वर्णित । कृत्यरत्न - विदर्भ के राजा द्वारा सम्मानित् नारायणभट्टा
त्मज हरिभट्ट के पुत्र खण्डेराय द्वारा । आठ प्रकाशों में। लेखक ने हेमाद्रि, माधवीय एवं अपने संस्काररत्न का उल्लेख किया है। बड़ोदा, सं० १९५३ । कृत्यरत्नाकर -- चण्डेश्वरकृत । दे० प्रकरण ९० ( बिब्लि० इण्डि०, १९२१) ।
कृत्यरत्नाकर -- मुदाकरसूरि द्वारा । कृत्यरत्नावली - विट्ठल के पुत्र एवं बालकृष्ण तत्सत् के पौत्र रामचन्द्र द्वारा ; ये कालतत्त्वविवेचन के लेखक रघुनाथ के दौहित्र थे । सं० १७०५ (१६४८-४९ ई०) प्रणीत । प्रतिपदा आदि तिथियों के कृत्यों एवं चैत्र से फाल्गुन तक के कृत्यों का विवेचन है; हेमाद्रि, मदनरत्न एवं नारायणभट्ट उद्धरण हैं । कृत्यरत्नाकर --- लक्ष्मीघर द्वारा । कृत्यरत्नाकर -- लोकनाथ द्वारा ।
कृत्यराज -- विभिन्न मासों में किये जाने वाले कृत्यों का संग्रह। लगभग १७५० ई० में नवद्वीप के राजकुमार कृष्णचन्द्र के आश्रय में संगृहीत | कृत्यविलासमंजरी ।
कृत्यसमुच्चय-- भूपाल द्वारा । कृत्य रत्नाकर ( पृ० ४९९) में वर्णित ।
कृत्यसागर - वर्धमान में एवं वेदाचार्य के स्मृतिरत्नाकर में वर्णित । १४०० ई० के पूर्व । कृत्यसार -- मथुरानाथ शुक्ल द्वारा । कृत्यसारसमुच्चय-- अमृतनाथ ओझा द्वारा । बम्बई में मुद्रित । कृत्यसारसमुच्चय-- वाचस्पति द्वारा । कृत्यापल्लवदीपिका - दे० 'शान्तिकल्पप्रदीप ।
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