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________________ १५१२ अतिक्रान्तप्रायश्चित । अतिद्रशान्ति । अतीधारनिर्णय -- महेश द्वारा ( बिहार, पृ० २ संख्या अनन्तालिक ।' ३)। अतीचारनिर्णय -- भुजबल भीम द्वारा ( बिहार, पृ० धर्मशास्त्र का इतिहास ३, संख्या ४) । अत्रि - - दे० प्रक० १९ । टी० कृष्णनाथ द्वारा । टी० तकनलाल द्वारा, १६८६ ई० के पश्चात् । टी० हरिराम द्वारा । अद्भुतदर्पण या अद्भुत संग्रह - बुध - बाण कुलजात रघुनाथ के पुत्र एवं गोविन्द के ज्येष्ठ भ्राता माधव शर्मा । बल्लालसेन के अद्भुतसागर पर आधारित । दिव्य, नाभस एवं भौम पर । मयूरचित्र को उ० करता है। नो० न्यू० ( जिल्द १, पृ० २-४ ) । अवभूतविवेक - - महीधर द्वारा । अद्भुतसागर - - विजयसेन के पुत्र बल्लालसेन द्वारा (प्रभाकरी एण्ड कं०, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित ) ; रघुनन्दन, कमलाकर, नीलकण्ठ एवं अनन्तदेव द्वारा वर्णित । सन् १०६८ ई० में प्रारम्भित एवं लक्ष्मणसेन द्वारा समाप्त । अद्भुतसागरसार -- चतुर्भुज द्वारा । अद्भुतसागरसार - श्रीपति द्वारा । अद्भुतसिन्धु --- शान्तितत्त्वामृत में नारायण द्वारा उ० । अद्भुतामृत - - उत्पातों पर, दिव्य, आन्तरिक्ष एवं भौम नामक तीन प्रकारों पर । अद्भुतोत्पातशान्ति -- शौनक द्वारा । अधिकमासप्रकरण | 'अधिकमास निर्णय -- देखिए मलमासनिर्णय | अधिकमासफल । अधोमुखजननशान्ति-शौनक द्वारा रचित | अध्यायोपाकर्म प्रयोग । अनन्तभाष्य - समयमयूख में वर्णित । अनन्तव्रतपूजापद्धति - ( शंकर के व्रतार्क से ) । अनन्तप्रतोद्यापन | अनन्त भट्ट दीक्षित द्वारा, यज्ञोपवीत की उपाधि । देखिए 'प्रयोगरत्न' । Jain Education International अनाकुला - आपस्तम्बगृह्यसूत्र पर हरदत्त की टी० । देखिए प्रकरण ८६ । अनाचारनिर्णय । अनावृष्टिशान्ति-शौनक कृत । अनुभोगकल्पतर - जगन्नाथ द्वारा । अनुमरणप्रदीप गौरीश भट्ट । अनुसरणविवेक-शुद्धितत्त्व में रघुनन्दन द्वारा उ० । अनुयागपद्धति -- जनार्दन के पुत्र आनन्दतीर्थ द्वारा । अनुयागपद्धति कृष्णानन्द सरस्वती द्वारा। आर्याध्वरीन्द्र द्वारा टी० ( बड़ोदा, सं० १२५३७ ) । अनुष्ठानपद्धति -- रघुनाथ ने इस पर टी० लिखी है । अनूपविलास या धर्माम्भोधि - शिवदत्तात्मज गंगा राम के पुत्र मणिराम दीक्षित द्वारा महाराज अनूपसिंह के संरक्षण में लिखित; आचाररत्न, समयरत्न, संस्कार-रत्न, वत्सररत्न, दानरत्न एवं शुद्धिरत्न नामक ६ भागों में विभाजित । दिल्ली के शाहंशाह आलमगीर (शाहजहां) के राज्यकाल में अनूपसिंह वर्तमान थे । लगभग १६६० ई० । अनूपविवेक --- बीकानेर के अनूपसिंहदेव का कहा गया है । पाँच उल्लासों में शालग्राम-परीक्षण लिखा गया है । अनूपसिंह १६७३ में राजा थे, जो कर्णसिंह ( १६३४) के पुत्र थे। देखिए डकन कालेज मेनुस्क्रिप्ट्स, सन् १९०२ - १९०७ की, सं० २२ । और देखिए दानरत्नाकर । अन्तरिक्षवायुवीर्यप्रकाश । अन्त्यकर्मदीपिका - हरिभट्ट दीक्षित द्वारा । अन्त्यकर्मपद्धति । अन्त्यक्रियापद्धति - मणिराम द्वारा शुद्धिमयूख द्वारा उ० । लग० १६४० ई० । अन्त्येष्टिक्रियापद्धति --आपदेव के पुत्र दे० प्रक० १०९ । अनन्तभट्टी या स्मार्तानुष्ठानपद्धति -- विश्वनाथ के पुत्र अन्त्येष्टिपद्धति - गोदावरी तटीय (पुणताम्बे पर स्थित ) For Private & Personal Use Only अनन्तदेव द्वारा । www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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