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तीर्थसूची
१४३१ गोपीश्वर--(मथुरा के अन्तर्गत) वराह० १५७११८ ६३।६१ एवं ८३।२; (३) (द्वारका के पास)
(जहाँ कृष्ण ने गोपियों के साथ लीलाएं कीं)। स्कन्द० ७।४।४।९७-९८ एवं ५।३२, पद्म० ४।गोप्रचार-(गया के अन्तर्गत) वायु० १११॥३५० १७।६९-७० एवं ६।१७६।३५-३६; (४) (अवध ३७ (जहाँ आमों की एक कुञ्ज है), अग्नि० ११६।- में, हिमालय से निकलकर वाराणसी के पास गंगा
में मिलने वाली नदी) मत्स्य० ११४।२२, ब्रह्माण्ड० गोप्रतार-(अवध के फैजाबाद में गुप्तार) जहाँ राम २।१६।२५, रामा० २।४९।११।
ने अपनी सेना एवं भृत्यों के साथ अपना शरीर छोड़ा। गोमती-गंगा-संगम-पद्म० १॥३२॥४२, भाग० ५।वाम० ८३।८, नारदीय० २।७५।७१, रघुवंश १५- १९।१८, अग्नि० १०९।१९।
गोरक्षक-वराह० २१५।९३ । गोप्रेक्ष-(वारा० के अन्तर्गत) लिंग० (ती० क०, गोरयगिरि-(मगधक्षेत्र में) सभा० २०३० ।
पृ. ४२), पद्म० ११३७।१६, नारदीय० २।५०॥४३ गोवर्धन--(१) (मथुरा के पास एक पहाड़ी) (गोप्रेक्षक)।
मत्स्य० २२।५२, कूर्म० १।१४।१८ (जहाँ पर पृथु गोप्रेक्षक--(वारा० के अन्तर्गत एक लिंग) लिंग० ने तप किया था) । पद्म०५।६९।३९, वराह० १६३।१९२१६७-६८।
१८, १६४११ एवं २२-२३, विष्णु० ५।११।१६ । गोप्रेक्षेश्वर--(वारा० के अन्तर्गत) स्कन्द० (ती. देखिए इस ग्रन्थ का खण्ड ४, अध्याय १५; (२) क०, पृ० १३१)।
(राम द्वारा गौतमी के अन्तर्गत स्थापित एक नगर) गोभिलेश्वर--(वारा० के अन्तर्गत) लिंग० (ती० ब्रह्म० ९१११, ब्रह्माण्ड० २।१६।४४। नासिक के क०, पृ. ९४)।
पास प्राप्त उषवदात के शिलालेख में गोवर्धन कई गोमण्डलेश्वर--(श्रीपर्वत के अन्तर्गत) लिंग० बार उल्लिखित हुआ है (बम्बई गजे०, जिल्द १६,
१२९२।१६२ (नन्द आदि द्वारा स्थापित)। पृ० ५६९)। गोमन्त-(१) (एक पहाड़ी) मत्स्य० १३।२८ (गोमन्त गोविन्दतीर्थ---(गोदावरी के अन्तर्गत) ब्रह्म
पर सती को गोमती कहते हैं); (२) (करवीरपुर, १२२।१००, पद्म० ११३८।५० (चम्पकारण्य के क्रौञ्चपुर एवं वेणा नदी के पास सह्य की एक पहाड़ी) पास है, ऐसा लगता है। हरिवंश (विष्णुपर्व ३९।११ एवं १९-२०); (३) गौतम-(मन्दर पर्वत पर) पद्म० ६।१२९।८। (द्वारका के पास एक पहाड़ी, जहाँ जरासंध के आक्र- गौतम नाग--(कश्मीर में, अनन्तनाग के दक्षिण एवं मणों से तंग आकर कृष्ण एवं वृष्णि लोग मथुरा से बवन के मार्ग में) स्टीन-स्मृति, पृ० १७८ । आकर बस गये थे) सभा० १४।५४, वन०८८1- गौतम-वन-वन० ८४।१०८-११०। १५-१७, नारदीय० २१६०।२७। पाजिटर ने जो गौतमाश्रम-(त्र्यम्बकेश्वर के पास) पद्म० ६।१७६।
पहचान बतलायी हैं, वे असंतोषप्रद हैं (१० २८९)। ५८-५९। गोमती--(१) (एक नदी) ऋ० (८।२८।३० गौतमी-(गोदावरी) देखिए इस ग्रन्थ के खण्ड
एवं १०१७५।६) यह कुभा एवं क्रम के बीच में ४ का अध्याय १५ । रखी गयी है (ऋ० १०७५।६); अतः सम्भवतः गौतमेश्वर-(१) (नर्मदा के अन्तर्ग यह आज की गोमल है जो सिन्धु की एक पश्चिमी २२।६८, १९३।६०, कूर्म० २।४२।६-८, पद्म० सहायक नदी है; (२) (सरस्वती के पास की एक श२०१५८; (२) (वारा० के अन्तर्गत) लिंग० नदी) वन० ५।८७७, पद्म० २३२।३७, वाम (ती० क०, पृ० ११५)।
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