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कूर्म ० २।४२।२१; (३) (नैमिषवन में) वन०
९५।३, पद्म० १।२७।१ ।
कन्याश्रम
वन० ८३।१८९, पद्म० १।१२/५, २७/७५, ३९।३५।
कन्या - संवेद्य - वन० ८४११३६, पद्म० १४३८।५२ । कन्या हद - अनु० २५।५३ ।
कपटेश्वर- (कोठेर के पास कश्मीर घाटी के दक्षिण ओर) राज० १ ३२, ह० चि० १४।३४ एवं १३५, नीलमत० ११७८, १२०२, १३२९-१३५७ ( यहाँ पर शिव लकड़ी के एक कुन्दे के रूप में प्रकट हुए थे ) ; स्टीन-स्मृति ( पृ० १७८ - १७९) । आइने अकबरी (जिल्द २, पृ० ३५८ ) में आया है'कोटिहर की घाटी में एक गहरी धारा है, जब इसका पानी कम हो जाता है तो महादेव की एक चन्दनप्रतिमा उभर आती है ।' कपर्दीश्वर -- ( वाराणसी में गुह्य लिंगों में एक ) कूर्म ० १।३२।१२, ११३३।४-११ एवं २८-४९,
धर्मशास्त्र का इतिहास
पद्म० १।३५।१ । कपालमोचनतीर्थ --- (१) (वारा० में) वन० ८३1१३७, स्कन्द० ४।३३।११६, नारदीय० २।२९/३८-६० (शिव ने अपने हाथ में आये हुए ब्रह्मा के एक सिर को काट डाला और इस तीर्थ पर पाचमुक्त हो गये ) । शल्य० ३९।८, मत्स्य० १८३।८४-१०३, वाम० ३१४८-५१, वराह० ९७।२४-२६, पद्म० ५।१४।१८५- १८९, कूर्म ० १।३५।१५ ( इन पाँचों पुराणों में एक ही गाया है); (२) ( सरस्वती पर, जो ओशनस नाम से भी विख्यात है ) वाम० ३९।५-१४ ( राम द्वारा मारे गये एक राक्षस का सिर मुनि रहोदर की गर्दन से सट गया था और मुनि को उससे छुटकारा यहीं मिला था ) । शल्य० ३९१९ - २२ ( रहोदर की वही गाथा ) ; देखिए ए० एस० आर० (जिल्द १४, पृ० ७५-७६) जहाँ इसकी स्थिति ( सघोरा से १० मील दक्षिण-पूर्व) तथा शिव को ब्रह्मा के सिर काटने के कारण लगे पाप से
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छुटकारा मिलने की गाथा आदि का वर्णन है; (३) ( अवन्ती के अन्तर्गत ) नारदीय० २१७८ - ६; (४) (कश्मीर में, शूपियन परगने में आधुनिक देगाम स्थान ) देखिए राज० ७।२६६, ह० चि० १०।२४९, १४।१११; (५) ( मायापुर अर्थात् हरिद्वार में ) पद्म० ६ । १२९।२८ ।
कपालेश्वर - ( वारा० के अन्तर्गत) लिंग० (ती० क०, पृ० ५८ ) ।
कपिलतीर्थ - (१) (उड़ीसा में विरज के अन्तर्गत )
ब्रह्म० ४२।६; (२) ( नर्मदा के उत्तरी तट पर ) मत्स्य ० १९३।४, कूर्म ० २१४११९३ १००, पद्म० १।१७।७, वन० ८३०४७, तीर्थसार, पृ० १००; (३) (गोदावरी के दक्षिण तट पर ) ब्रह्म ० १५५११ - २ ( यह यहाँ पर आंगिरस, आदित्य एवं सैंहिकेय भी कहा गया है ) ।
कपिलधारा - वाम० ८४ । २४ । दे ( पृ० ४) का कथन है कि नर्मदा का अमरकण्टक से प्रथम पतन स्कन्द ० में कपिलधारा के नाम से उल्लिखित है । कपिलनागराज - वन० ८४ । ३२, पद्म० १।२८।३२ । कपिलहब - ( वारा० के अन्तर्गत ) वन ८४।७८, नारदीय० २।५०/४६, पद्म० १।३२।४१, लिंग० १।९२।६९-७०, नारदीय० ( २/६६।३५ ) में इसी नाम का एक तीर्थ हरिद्वार में कहा गया है। कपिला-- ( १ ) ( गया के अन्तर्गत एक धारा) वायु० १०८/५७-५८, अग्नि० ११६/५; (२) (नर्मदा के दक्षिण एक नदी ) मत्स्य० १८६१४०, १९०/१०, कूर्म ० २।४०।२४, पद्म० १।१३।३५ । मध्यप्रदेश में बरवानी में यह नर्मदा से मिल जाती है। कपिलातीर्थ - ( कश्मीर में कपटेश्वर के अन्तर्गत )
ह० चि० १४|११३ |
कपिलावट - ( नागतीर्थ एवं कनखल के पास ) वन० _ ८४१३१, पद्म० १|२८|३१| कपिला संगम - (१) ( नर्मदा के साथ) १८६।४०, पद्म० २।१८ १, ६।२४२०४२; (२)
मत्स्य ०
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