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________________ स्मृतियाँ ४१ आरम्भ में स्मृति-ग्रन्थ कम ही थे। गौतम (११. १९) ने मनु को छोड़कर किसी अन्य स्मृतिकार का नाम नहीं लिया है; यद्यपि उन्होंने धर्मशास्त्रों का उल्लेख किया है। बौधायन ने अपने को छोड़कर सात धर्मशास्त्रकारों के नाम लिये हैं-औपजंघनि, कात्य, काश्यप, गौतम, प्रजापति, मौद्गल्य एवं हारीत। वसिष्ठ ने केवल पांच नाम गिनाये हैं--गौतम, प्रजापति, मनु, यम एवं हारीत। आपस्तम्ब ने दस नाम लिखे हैं, जिनमें एक, कुणिक, पुष्करसादि केवल व्यक्ति-नाम हैं। मनु ने अपने को छोड़कर छ: नाम लिखे हैं--अत्रि, उतथ्य के पुत्र, भृगु, वसिष्ठ, वैखानस (या विखनस) एवं शौनक। याज्ञवल्क्य ने सर्वप्रथम एक स्थान पर २० धर्मवक्ताओं के नाम दिये हैं, जिनमें वे स्वयं एवं शंख तथा लिखित दो पृथक्-पृथक् व्यक्ति के रूप में सम्मिलित हैं। याज्ञवल्क्य ने बौधायन का नाम छोड़ दिया है। पराशर ने अपने को छोड़कर १९ नाम गिनाये हैं। किन्तु याज्ञवल्क्य एवं पराशर की सूची में कुछ अन्तर है। पराशर ने बृहस्पति, यम एवं व्यास को छोड़ दिया है किन्तु काश्यप, गार्ग्य एवं प्रचेता के नाम सम्मिलित कर लिये हैं। कुमारिल के तन्त्रवार्तिक में १८ धर्म-संहिताओं के नाम आये हैं। विश्वरूप ने वृद्ध-याज्ञवल्क्य के श्लोक को उद्धृत कर याज्ञवल्क्य की सूची में दस नाम जोड दिये हैं। चविंशतिमत नामक ग्रन्थ में २४ धर्मशास्त्रकारों के नाम उल्लिखित हैं। इस सची में याज्ञवल्क्य वाली सूची के दो नाम, यथा कात्यायन एवं लिखित छूट गये हैं, किन्तु छ: नाम अंधिक हैं, यथा गार्य, नारद, बौधायन, वत्स, विश्वामित्र, शंख (शांख्यायन ? )। अंगिरा ने, जिसे स्मृतिचन्द्रिका, हेमाद्रि, सरस्वतीविलास तथा अन्य ग्रन्थों ने उद्धत किया है, उपस्मृतियों के नाम भी गिनाये हैं। एक अन्य स्मृति का नाम है पत्रिंशन्मत, जिसे मिताक्षरा, अपरार्क तथा अन्य ग्रन्थों ने उल्लिखित किया है। पैठीनसि ने ३६ स्मृतियों के नाम गिनाये हैं। अपरार्क के अनुसार भविष्यत्पुराण में ३६ स्मृतियों के नाम आये हैं। वृद्ध-गौतमस्मृति में ५७ धर्मशास्त्रों के नाम आये हैं। वीरमित्रोदय में उद्धृत प्रयोगपारिजात ने १८ मुख्य स्मृतियों, १८ उपस्मृतियों तथा २१ अन्य स्मृतिकारों के नाम लिये हैं। यदि बाद में आनेवाले निबन्धों, यथा निर्णयसिन्धु, नीलकण्ठ एवं वीरमित्रोदय की मयूख-सूचियों को देखा जाय तो स्मतियों की संख्या लगभग १०० हो जायगी। विश्वसनीय स्मृतियां कई युगों की कृतियाँ हैं। कछ तो पूर्णतया गद्य में, कुछ मिश्रित अर्थात् गद्य-पद्य में हैं और अधिकांश पद्य में हैं। कुछ अति प्राचीन हैं और ईसा से कई सौ वर्ष पूर्व प्रणीत हुई थीं, यथा गौतम, आपस्तम्ब, बौधायन के धर्मसूत्र' एवं मनुस्मृति । कुछ का प्रणयन ईसा की प्रथम शताब्दी में हुआ, यथा याज्ञवल्क्य, पराशर एवं नारद। उपर्युक्त स्मृतियों के अतिरिक्त अन्य ४०० ई० से १००० ई० के बीच की हैं। सबका ८६.१८ मुख्य स्मृतिकार हैं-मनु, बृहस्पति, दक्ष, गौतम, यम, अंगिरा, योगीश्वर, प्रचेता, शातातप, पराशर, संवतं, उशना, शंख, लिखित, अत्रि, विष्णु, आपस्तम्ब, हारीत। उपस्मृतियों के लेखक हैं-नारदः पुलहो गार्ग्यः पुलस्त्यः शौनकः क्रतुः। बौधायनो जातुकर्णो विश्वामित्रः पितामहः॥ जाबालि चिकेतश्च स्कन्यो लौगाक्षिकश्यपो। व्यासः सनत्कुमारश्च शन्तनुर्जनकस्तया॥ व्याघ्रः कात्यायनश्चैव जातकर्ण्यः कपिञ्जलः । बौधायनश्च काणादो विश्वामित्रस्तव च । पठानसिगर्गोभिलश्चेत्युपस्मृतिविषायकाः॥ अन्य २१ स्मृतिकार हैं-वसिष्ठो नारवश्चय सुमन्तुश्च पितामहः। विष्णुः कार्णाजिनिः सत्यवतो गाग्यश्च देवलः॥ जमदग्निर्भरद्वाजः पुलस्त्यः पुलहः क्रतुः । आत्रेयश्व गवेयश्च मराचिस एव च ॥ पारस्करश्चर्घ्यशृङ्गो वैजवापस्तथैव च । इत्येते स्मृतिकार एकविंशतिरोरिताः॥बोरमित्रोदय, परिभाषा प्र०, पृ० १८॥ धर्म-६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002789
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1992
Total Pages614
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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