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कात्यायन स्मृति १०. प्रातःकालिकस्नानादिक्रियावर्णनम् : १४५० प्रातःकाल का स्नान, नदी की परिभाषा, नदी कितनी वेगवती
धारा को कहते हैं। दन्तधावन, मुख और नेत्र प्रक्षालन की विधि । कप स्नान भी गंगा स्नान के समान ग्रहण आदि पर्व में होता है
१-१४ ११. सन्ध्योपासनाविधिवर्णनम् : १३५१ सन्ध्योपासन का निर्देश-जब तक सन्ध्या न करे तब तक अन्य
किसी देव एवं पितृ कार्य को करने का अधिकार नहीं है । सन्ध्या विधि एवं सूर्योपस्थान कर्म
१२. तर्पणविधिवर्णनम् : १३५३ देव, ऋषि तथा पितृ तर्पण विधि
१३. पञ्चमहायज्ञविधिवर्णनम् : १३५४ पञ्च महायज्ञ - देवयज्ञ, भूतयज्ञ, ब्रह्मयज्ञ, पितृयज्ञ और मनुष्य____यज्ञ इनको महायज्ञ कहा है तथा इन्हें करने की विधि
१४. ब्रह्मयज्ञविधिवर्णनम् : १३५५ ब्रह्मयज्ञ का वर्णन
१५. यज्ञविधिवर्णनम् : १३५७ उपर्युक्त पञ्च महायज्ञों की विस्तार से विधि
१-२१ १६. श्राद्ध तिथिविशेषणविधिवर्णनम् : १३५६ श्राद्ध की तिथियों का निर्देश, तिथि परत्व श्राद्ध विधान
१-२३ १७. श्राद्धवर्णनम् : १३६२ श्राद्ध की विधि का निदर्शन
१-२५ १८. विवाहाग्निहोमविधानवर्णनम् : १३६४ । वैवाहिक अग्नि से प्रातः सायं हवन का विधान, चरु का वर्णन और कुशा विष्टर का मान
१-२३ १६. सकर्तव्यतास्त्रीधर्मवर्णनम् : १३६७ गृहस्थाश्रमी को स्त्री के साथ अग्निहोत्र का विधान । स्त्रियों में
श्रेष्ठ स्त्री वही है जो सौभाग्यवती हो, ब्राह्मणों में ज्येष्ठ श्रेष्ठ वही है जो विद्या एवं तप में श्रेष्ठ है । स्त्री को पति का आदेश मानकर अग्निहोत्र करने से सौभाग्य बढ़ता है तथा
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