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मनुस्मृति ३. स्नातकविवाहकर्म वर्णनम् : ३५ विद्याभ्यास का काल
१-२ विवाह प्रकरण और कन्या के लक्षण विवाह के भेद, राक्षस, आसुर, पैशाच और गान्धर्व चार असत्
विवाह तथा ब्राह्म, दैव, आर्ष, प्राजापत्य चार सद्विवाह २१-३६ पाणिग्रहण संस्कार सवर्णों के ही साथ हो असवर्ण के साथ नहीं ऋतुकाल में सहवास से गृहस्थ को भी ब्रह्मचारी संज्ञा
४५-५० संस्कृति का विकास
५६-६२ गृहस्थ पञ्चमहायज्ञा : ४१ गृहस्थ के पञ्चयज्ञ का विधान गृहस्थाश्रम की मान्यता
७८-८५ बलिवेश्यवदेवः : ४३ बलिवैश्वदेव विधि
अतिथि वर्णनम् : ४५ अतिथि सत्कार विधि
१०१-१०८ गृहस्थ के लिए अतिथि को खिलाकर भोजन करने का वर्णन ११५-११८
श्राद्धवर्णनम् : ४६ गोलक और कुण्डकादि निन्दित सन्तान
१७३-१७४ भोजन करने का नियम
२३८-२३६ ४. गृहस्थाश्रम वर्णनम् : ६१ गृहस्थाश्रम का वर्णन श्राद्ध और यज्ञ में ब्राह्मण-भोजन
३०-३१ उपनयन संस्कार के अनन्तर स्नातक के रहन-सहन और व्यवहार के नियम
३५-११० विशेष नियम तथा गृहस्थ की शिक्षा
१११-१३५ धर्माचरण और नियम
१७७ दान. धर्म और श्राद्ध
५. अभक्ष्य वर्णनम् : ८५ अकाल मृत्यु?
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