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________________ वृहद पाराशर स्मृति अभक्ष्य भक्षण अपेय पान (जिसका छूआ पानी नहीं पीना उसके पीने) करने पर प्रायश्चित्त २२२-२३० रजस्वला के सम्पर्क से शुद्धि का विधान २३१-२४२ धोबी के स्पर्श से शुद्धि का विधान २४३ वर्णक्रम से (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्रादि) रजस्वला स्त्रियों के गमन करने पर प्रायश्चित्त २४४-२५३ अन्त्यज स्त्री के गमन से प्रायश्चित्त २५४ गुरुपत्नी आदि के गमन का पाप और उसके प्रायश्चित्त २५५-६३ रजस्वला के छुये हुए अन्न खाने का प्रायश्चित्त २६४-२६६ पापों के प्रायश्चित्तों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। २६७-२७५ दुःस्वप्न देखने और हजामत (क्षौर) करने पर स्नान की विधि २७६ सूअरः कुत्ता आदि के छूने पर शुद्धि २७७-२७६ कन्या कुमारी को कोई कुत्ता यदि चाट ले तो उसकी शुद्धि जिधर __ सूर्य जा रहा हो उधर देखने से हो जाती है २८०-२८१ कोई कुत्ता किसी को काट लेवे तो उसकी शुद्धि की विधि २८२-२८४ गुरु को 'तू' बोलना और अपने से बड़ों को 'हूं-हूं' बोलना इस पाप .. ___की शुद्धि बताई है २८५ विवाद में स्त्री से जीतकर और स्त्री को मारना उसका प्रायश्चित्त २८६-२८७ प्रेत को देखकर स्नान से शुद्धि २८८-२६३ १०८ बार गायत्री मंत्र जपने से शुद्धि वर्णन २६४-२६५ मुंह से गिरे हुए को फिर खा ले तो उसकी शुद्धि २६६-२६८ कहीं जल पर पेशाब आदि के छींटे पड़ जायें तो उसकी शुद्धि २६६-३०० नीच पापी पतित के साथ बात करने के पाप से शुद्धि ३०१-३०४ घर में मक्खियों के आने से, बच्चों, स्त्रियों और वृद्धों के बोलने से यदि थूक के छींटे पड़ जाये तो कोई दोष नहीं होता है ३०५-३१० जो पलास वृक्ष और शीशम के वृक्ष की दन्तधावन करता है और नाई के देखे हुए खाने का दोष गाय के दर्शन से मिट जाता है ३११ जिनके छूने से सिर में जल स्पर्श करने से शुद्धि और जिनके स्पर्श करने सेस्नान करना उनका अलग-अलग विवरण आया है ३१२-३२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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