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________________ वहद पाराशर स्मृति ५६ वर्णन तथा नारायणबली, जो अपमृत्यु से मरते हैं जैसे पेड़ से गिरकरे; नदी में डूबकर इत्यादि इनकी नारायणबली का विधान कहा है। अपने पति के साथ जो स्त्री मरती है उस के श्राद्ध का वर्णन, श्राद्ध में जो जो विधान करने हैं उनका पूरा वर्णन, श्राद्ध के सम्बन्ध में जितनी बातों की जानकारी चाहिए उन सबका वर्णन इस अध्याय में सविस्तर दिखाया गया है १७३-३६६ ८. शुद्धि वर्णनम् ८२६ सूतक और अशोच का निर्णय सूतक बच्चे के जन्म होने से जो छूत ____ होती है उसे कहते हैं । अशौच मृत्यु को छूत को कहते हैं १-२ किसको कितने दिन का सूतक पातक लगता है उसका विचार ३-२५ अनाथ मनुष्य की क्रिया करने से अनन्त फल २६-२७ गर्भपात का सूतक जितने महीने का गर्भ हो उतने दिन के सूतक का निर्णय, अग्नि, अङ्गार, विदेश आदि में जो मर जाते हैं उनका सद्यः शौच अर्थात् तत्काल स्नान करने से शुद्धि कही गई है। जिन बच्चों को दांत नहीं निकले हैं और जो जन्मते ही मर गए हैं उनका सद्यः शौव कहा है। इनका अग्नि संस्कार आदि कुछ नहीं होता। किती के घर में विवाह उत्सव आदि हो और यदि वहां अशीच हो जाए तो उसका जो पहले किए हुए दानादि सत्कर्म अशुद्ध नहीं होते हैं . २८-५० जिन-जिन पर सूतक नहीं लगता तथा जिस दशा पर सूतक पातक नहीं लगता उनका वर्णन किया गया है ५१-६० प्रायश्चित्त वर्णनम् : ८३५ पापों का क्षालन करने के लिये प्रायश्चित्तों का माहात्म्य और कर्तव्य बताया है। ६१-७० प्रायश्चित्त विधान करने वाली सभा का संगठन ७१-७७ महापापी के प्रायश्चित ७८-१०७ शराब पीने का प्रायश्चित १०८-११० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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