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कौन किसका श्राद्ध कर सकता है इसका निर्णय है, जैसे; अपुत्र की स्त्री भी पति का, इष्ट परिजन अपने मित्रों का, लड़की का लड़का अर्थात् दोहित्र भी श्राद्ध कर सकता है । एकोद्दिष्ट श्राद्ध पुत्र ही अपने पिता और पितामह का कर सकता है
वृहद पाराशर स्मृति
श्राद्ध में शूद्रान्न का निषेध और स्त्री को भोजन करना निषेध एकोद्दिष्ट श्राद्ध का विधान तथा किस किस काल में श्राद्ध करना चाहिए उन कालों का वर्णन - कुतुप, ( मध्याह्न) रोहिणी, संक्रान्ति, अमावस्या, व्यतीपात आदि
मलमास में भी श्राद्ध और नित्य श्राद्ध का वर्णन
श्राद्ध की तिथि का निर्णय, सगोत्र ब्राह्मण को श्राद्ध में भोजन कराने का निषेध
वृद्धि श्राद्ध ( नान्दीमुख) शुभ कार्य में जो पितरों का श्राद्ध होता है उनके उपयुक्त जो पात्र है उनका निर्णय, वट वृक्ष की लकड़ी और बिल्वपत्र के पत्ते पर भोजन करने का निषेध
नान्दीमुख श्राद्ध में कौन देवता पूजे जाते हैं और उसमें दीप दानादि कैसे होता है । नान्दीमुख श्राद्ध का विशेष वर्णन किया है श्राद्ध के भेद और श्राद्ध की विधियां, स्त्री का पति के साथ तथा किस स्त्री का पृथक् श्राद्ध होता है उसका वर्णन किया है । चतुर्दशी में जो एकोद्दिष्ट श्राद्ध होता है उसका वर्णन और प्रतिलोम के लड़कों को श्राद्ध का अधिकार नहीं उसका
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४०-६१
६२-८३
११७-१२०
श्राद्ध में कौन पुष्प किसको चढ़ाने अथवा नहीं चढ़ाने चाहिए १२३-१२७ गुग्गुल की धूप को श्राद्ध में निषेध बताया है श्राद्ध में तिलक कैसे लगाना चाहिए
१२८-१२६
१३०-१३१
श्राद्ध में कैसा वस्त्र देने का निर्णय है
श्राद्ध में देश रीति तथा कुल रीति का पालन
सपिण्डी श्राद्ध का विवरण और अग्नि में जले हुए, सांप से कटे हुए की श्राद्ध क्रिया बताई है
८४-१०१
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