________________
५७
वृहद पाराशर स्मृति जो गृहस्थी मांस नहीं खाता है उसको स्वर्गलोक की प्राप्ति बताई
गई है । जहां पर मांस खाने का नियम बताया भी है उसकी निवृत्ति-उसको न खाने से महाफल बताया है
३२५-३३१ शुद्धि वर्णनम् : ७८६ शुद्धि का विधान और कौन कौन वस्तु शुद्ध होती है इसका वर्णन ३३२-३४० बछड़े के मुख से जो दूध गिर जाता है उसको शुद्ध बताया है तथा अन्यान्य शुद्धियां बताई हैं
३४१-३४४ जो चीज शुद्ध हैं उनका वर्णन, स्त्री के शुद्ध होने का वर्णन
३४५ अनध्याय वर्णनम् : ७८८ अनध्याय अर्थात् जिस समय वेद नहीं पढ़ना चाहिए
३५४-३६६ अनध्याय में वेदाध्ययन निष्फल होता है
३६७-३७० स्वर हीन वेद पढ़ने का पाप और वज्ररूप फल बताया है ३७१-३७२
"ये स्वाध्यायमधीयोरन्ननध्यायेषु लोभतः ।
बज रूपेण ते मन्त्रास्तेषां देहे व्यवस्थिता:" ॥ मनुष्यों को किससे साथ कैसा व्यवहार, करना,
३७३-३७६ मनुष्यों को आचार का पालन करने से यश और धन की प्राप्ति
है। आयु, प्रजा, लक्ष्मी और संसार में सम्मान का मूल आचार ही है
३७७-३८० ७. श्राद्ध वर्णनम् : ७६१ श्राद्ध के समय कौन-कौन हैं उनका निर्देश
१-४ श्राद्ध में जिनको निमन्त्रण देना निषिद्ध हैं
५-१४ श्राद्ध में जिनको निमन्त्रण देना चाहिए
१५-२६ श्राद्ध में जो ब्राह्मण भोजन करते हैं उनके यम नियम बताए गए हैं २७-३२ श्राद्ध में पत्रावली
३३.३४ निर्धन पुरुष जिनके पास श्राद्ध करने की सामग्री नहीं है उनका पितृऋण से क्षमा याचना
३४-३७ जो इतना भी न कर सके वह पितृ-हत्यारा कहा जाता है
३८-३९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org