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________________ वृहद पाराशर स्मृति ५१ ७-४३ बैलों के पालन और किस प्रकार के बैलों से खेती जोतनी चाहिये उसका वर्णन गोमाहात्म्य और गो के पालन करने का माहात्म्य तथा गोमूत्र पान करने का माहात्म्य और दुर्बल, बीमार गाय को दुहने का पाप और गोदान का माहात्म्य, गौ के अङ्ग प्रत्यङ्ग में देवताओं का निवास है। यस्याः शिरसि ब्रह्माऽऽस्ते स्कन्धवेशे शिवः स्थितः । पृष्ठे नारायणस्तस्यौ श्रुतयश्चरणेषु च ॥ या अन्या देवताः काश्चित्तस्या लोमसुताः स्थिताः । सर्वदेवमया गावस्तुष्येत्त्वभक्तितो हरिः ।। स्पृष्टाश्च गावः शमयन्ति पापं, संसेविताश्चोपनयन्ति वित्तम् । ता एव वत्तास्त्रिविवं नयन्ति, गोभिनंतुल्यं धनमस्ति किञ्चित् ।। समहत्त्व वृषभ पूजन वर्णनम् : ७४० बैल पालने का माहात्म्य । गाय के पालने से बैल का पालन करने में दस गुणा माहात्म्य अधिक है। वष का पूजन और वष को धर्म का अवतार बताया गया है वृष अपने कंधे पर भार ले जाता है, अपने जीवन से दूसरे के जीवन की रक्षा और दूसरे के जीवन को बढ़ाता है। उन गायों की महती वन्दना की गई है जो वृषभ को उत्पन्न करती है इत्यादि ४३-५६ हल (वेध) करण वर्णनम् : ७४१ हल बनाने का विधान ६०-७६ हल लगाने का दिन तथा विधि ७७-१०० बैल का पूजन और बैल की रक्षा का विधान १०१-१११ बाकाश से जो जल गिरता है उसका माहात्म्य, जल से अन्न की उत्पत्ति ११२-११५ कृषि महत्त्व धर्म वर्णनम् : ७४७ कषि करने की विधि ११६-१५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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