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वृहद पाराशर स्मृति
गायत्री मन्त्र वर्णनम् : ७२० गायत्री मन्त्र के एक एक अक्षर का एक-एक देवता और उसके स्वरूप का वर्णन
७१-६७ गायत्री मन्त्र जप वर्णनम् : ७२३ । न्यास और गायत्री की उपासना और स्थूल, सूक्ष्म और कारण इन तीनों शरीरों को गायत्री से बन्धन करने का विधान १८-११०
देवाचंन विधिवर्णनम् : ७२४ देवताओं का पूजन और उसके मन्त्र, जैसे विष्णु का गायत्री और ___ ओंकार से पूजन इत्यादि
१११-१२३ देवता के देह में न्यास
१२४-१३४ पुरुष सूक्त के पहले मन्त्र से आवाहन, दूसरे से आसन, तीसरे से पाद्य, चतुर्थ से अर्ध्य इत्यादि का वर्णन
१३५-१४१ विष्णु-पूजन
१४२ देवताओं का पूजन और उसकी विधि
१४३-१५४ वैश्वदेवविधिवर्णनम् : ७२८ वैश्वदेव विधि का वर्णन, बिना अग्नि को चढ़ाये अथवा बिना बलि
वैश्वदेव किये जो अन्न परोसा जाता है वह अभोज्य अन्न है । जिस अग्नि में अन्न पकाये उसी में अन्न का हवन करना चाहिये और हवन करने के मन्त्र तथा उसका विधान १५५-१६३
आतिथ्य विधिवर्णनम् : ७३२ अतिथि की विधि और अतिथि को भोजन देने का माहात्म्य
अतिथि का लक्षण, जैसे भूखा, प्यासा, थका हुआ प्राणरक्षा मात्र चाहता है यदि ऐसा अतिथि अपने घर आवे तो उसे विष्णुरूप समझना चाहिये । गृहस्थी के लिये अतिथि सत्कार परम धर्म बतलाया है
१९४-२११ वर्णाश्रम धर्म वर्णनम् : ७३४ वर्णाश्रम धर्म ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के कर्म का विधान २१२-२२५
५. गोमहिमा वर्णनम् : ७३५ षट् कर्म सहित विप्र कृषि वृत्ति का आश्रय करे
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