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________________ ४६ १-६ वृहद पाराशर स्मृति ३. ओंकार मन्त्र वर्णनम् : ७१० ओंकार मंत्र के जप की विधि जपने के मन्त्रात्मक सूक्त -- ब्रह्म सूक्त, शिव सूक्त, वैष्णव सूक्त, सौरि सूक्त, सरस्वती सूक्त, दुर्गा सूक्त, वरुण सूक्त और पुराण तथा शास्त्रों में आये जपों का वर्णन, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद में जो सूक्त आए हैं उनकी परिगणना। गायत्री मन्त्र का जप और ओंकार का जप, जिस मन्त्र का जप तथा उसका ऋषि देवता ओंकार और गायत्री मन्त्र के जप की महिमा और उसका स्वरूप, उसमें यह दर्शाया गया है कि पहले ओंकार शब्द हुआ और वह अकेला रहा, उसने अपने आमोद-प्रमोद के लिए गायत्री को स्मरण कर उसको प्रत्यक्ष किया, तो गायत्री उसकी पत्नी हो गई और प्रणव (ओंकार) उसका पति हुआ। इनके संयोग से तीन वेद, तीन गुण, तीन देवता, तीन मात्रा, तीन ताल तीन लिङ्ग उत्पन्न हुए। वेद शास्त्र में सब जगह ये तीन मात्रा आती हैं। ४. गायत्रीमन्त्र पुरश्चरण वर्णनम् : ७१४ इसमें गायत्री मन्त्र का पुरश्चरण, गायत्री का उच्चारण, गायत्री प्रकृति और ओंकार को पुरुष और इनके संयोग से जगत् की उत्पत्ति, गायत्री के २४ अक्षरों को २४ तत्त्व बताया है वेदों से गायत्री की उच्चता एक एक अक्षर में एक एक देवता एक एक अक्षर को किस किस अङ्ग में रखना बताया गया है गायत्री जप करने का स्थान और जपने की माला का विशदीकरण प्राणायाम का माहात्म्य उपांशु जप और मानस जप सब यज्ञों से जप यज्ञ की श्रष्ठता अप कैसा और किस मुद्रा और किस रीति से करना चाहिए ७-३३ १-१२ १३-१७ १८-२५ २६-३६ ३७-५२ ५३-५५ ५६-५८ ५६-६३ ६४-७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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