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________________ ૪૬ भाद्रपद के महीने में नदी के स्नान का निषेध बताया है क्योंकि नदियां रजस्वला रहती हैं किन्तु जो नदियां सीधी समुद्र में जाती हैं उसमें स्नान हो सकता है रवि संक्रान्ति, ग्रहण अमावस्या में, व्रत के दिन, षष्ठी तिथि पर गर्म जल से स्नान नहीं करना चाहिए सदाचार नित्यकर्म वर्णनम् : ६६६ स्नान प्रकार अर्थात् स्नान करने की विधि वृहद पाराशर स्मृति स्नान का मन्त्र, पञ्चगव्य स्नान के मंत्र, मिट्टी लगाने के मंत्र स्नान का फल और स्नान करने का विधान, मन्त्र के उच्चारण का विधान, उदात्त अनुदात्त, स्वरित, प्लुत के उच्चारण का क्रम किस अङ्ग में कितनी बार मिट्टी लगानी चाहिए उसका विधान और शरीर पर ॐ का कहां कहां पर और कितनी बार लिखना इसका विधान, स्नान के समय गायत्री का जप और स्नानान्तर गायत्री के मन्त्र का जप करने का निर्देश श्राद्धे तर्पण वर्णनम् ७०४ : देवताओं पितरों मनुष्यों और अपने वंशजों का तर्पण तथा यज्ञों के तर्पण विधि कर्तव्यवर्णनम् : ७०६ मनुष्य के हाथ पर ब्रह्मतीर्थ, पितृतीर्थ, प्राजापत्य तीर्थ, सौमिक तीर्थ तथा दैव्य तीर्थं ये पंचतीर्थ बताए गए हैं स्नान करके इन पांच तीर्थों से जल चढ़ाना बिना स्नान किए जो भोजन करता है उसकी निन्दा और स्नान करने से दुःस्वप्न का नाश बताया गया है। स्नान करने के फल बताए हैं चित्तप्रसाद बलरूप तपांसि मेधा, मामुष्यशीच सुभगत्व मरोगिता च । ओजस्वितां त्विषमवात् पुरुषस्यत्तीर्ण, स्नानं यशो - विभव-सौख्यमलोलुपत्वम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only १०६-११० १११-११२ ११३-१२३ १२४-१४८ १४-१५० १५१-१५५ १५६-१६८ १६६-२२० २२१-२२४ २२५-२२६ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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