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________________ ४४ तो इससे पाप आदि का वर्णन आया है । बाल, भूत्य, "गो विप्रेष्वति कोपं विवर्जयेत" इन पर अति कोप नहीं करना १०. अगम्यागमन प्रायश्चित्तवर्णनम् : ६६६ अगम्यागम्य में चान्द्रायण व्रत तथा ग्रास का प्रमाण चाण्डालनी के साथ गमन हवन - विधान ब्रह्मकूर्च का माहात्म्य पाराशर स्मृति Jain Education International माता, माता की बहिन और लड़की के साथ गमन पिता की बहु स्त्रियां और मां की सम्बन्धी, भ्रातृ भार्या, मामी, सगोत्रा, पशु और वेश्या गमन मनुष्य का कर्त्तव्य - बीमारी, संग्राम, दुर्भिक्ष, में भी औरतकी रक्षा व्यभिचार से दुःखित स्त्री के शुद्धि शराब पीने वाली स्त्री का पति पतित हो जाता है। जार से जो स्त्री संतान पैदा करे उसका त्याग पतित स्त्री तथा उसके पति का प्रायश्चित्त जो स्त्री जार के घर चली जाय फिर वहां से भाग कर यदि पिता के घर आ जाय तो वह जार का घर समझा जायगा । काम और मोह से जो स्त्री अपने बच्चों को छोड़कर जार के घर चली जाय तो उसका परलोक नष्ट हो जाता है ११. अभक्ष्यभक्षणप्रायश्चित्त वर्णनम् : ६७० गोमांस एवं चाण्डाल के अन्नादि का भक्षण एक पंक्ति पर बैठे हुए में से एक भी भोजन करने वाला उठ जाय तो वह अन्न दूषित हो जाता है पलाण्डु (प्याज) वृक्ष का निर्यास, देवता का धन और ऊंट, भेड़ का दूध खानेवाले को प्रायश्चित्त ११-१४ अज्ञान से जो किसी के घर सूतक का अन्न खा ले उसका प्रायश्चित्त १५-२० ब्राह्मण से शूद्र कन्या से उत्पन्न संतान २१-२४ ब्रह्मकूर्च उपवास की विधि २५-३३ शुद्धि-वर्णनम् : ६७३ For Private & Personal Use Only २६.६२ १-३ ४-६ १०-१४ १५-१६ १७ १८ २७ २८-३२ ३३-३४ ३५-४२ १-७ ८-१० ३४-३५ ३६ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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