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विष्णुस्मृति २०. दिनरात्रिकालवर्षादीनां वर्णनम् : ४३६ देवताओं का उत्तरायण दिन, दक्षिणायन रात्रि है। सम्वत्सर अहोरात्र है इस __ प्रकार काल का विभाग बताकर कर्म विपाक बताया गया है और पितृक्रिया बताई गई है।
२१. अशौचानन्तरं श्राद्धादि वर्णनम् : ४४३ अशौच पूरा होने पर पितृ और अग्निहोत्र वार्षिक श्राद्ध, कुम्भदान आदि का विवरण है।
२२. अशौच निर्णय वर्णनम : ४४४ अशीच किस जाति का कितने दिन का होता है। किसी का दस दिन का किसी का बारह दिन का।
२३. अन्नद्रव्यादि शुद्धिवर्णनम् : ४४६ वर्तन और अन्नादि की शुद्धि के सम्बन्ध तथा कूप आदि के शुद्धि के विषयइसमें गाय के सींग का जल और पञ्चगव्य से अन्न में शुद्धि बताई है ।
२४. विवाह वर्णनम : ४५३ ब्राह्मण को चार जाति से विवाह, क्षत्रिय को तीन, वैश्य को दो, शूद्र को एक
जाति से विवाह बतलाया है । सगोत्र से विवाह का निषेध । माता से पंचम, पिता से सप्तम कुल में विवाहना है । स्त्री के लक्षण और आठ प्रकार के विवाह । अन्तिम में ब्राह्म विवाह का माहात्म्य ।
२५. स्त्रीणां सक्षिप्त धर्म वर्णनम् : ४५५ इसमें संक्षिप्त से स्त्रियों के धर्म बताए हैं। २६. अनेक पत्नीत्वे सति स्वधर्माधस्त्री प्राधान्य
वर्णनम् : ४५६ जिसकी सवर्णा बहु भार्या हो तो वह धर्म काम ज्येष्ठ पत्नी से करे । हीन जाति
की स्त्री से विवाह करने पर उससे उत्पन्न लड़के से दैव कार्य और पितृकार्य नहीं हो सकता।
२७. निषेकादुपनयनपर्यन्तदशसंस्कार वर्णनम : ४५७ गर्भाधान, पुंसवन संस्कार आदि का वर्णन-उपनयन ब्राह्मण को आठवें,
क्षत्रिय को ग्यारहवें और वैश्य को बारहवें वर्ष में करना चाहिए ।
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