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७.
सलेख साक्षिवर्णनम् : ४२३
लिखित का वर्णन, राज साक्षी, गवाही, असाक्षिक वर्णन, संदेहास्पद लेख का
निर्णय |
विष्णुस्मृति
८. वजितसाक्षि लक्षणवर्णनम् : ४२४
जो साक्षी में निषेध हैं उनका वर्णन, कूट साक्षियों का वर्णन, शुद्ध साक्षियों के कहने पर निर्णय करना । जिस विवाद में कूट साक्षी होना निश्चित हो जाय वह विवाद समाप्त कर देना ।
६. समयक्रियावर्णनम् : ४२६
समय क्रिया राजद्रोहादि में शपथ कराने का विवरण, अभियुक्त को दिव्य कराने की प्रक्रिया, सचैल स्नान कराकर तब देवता और ब्राह्मण के आगे शपथ करावे |
१०. घट (तुला) धर्म वर्णनम् : ४२७
घट या तुला- इसमें पुरुष को बिठावे और उससे यह कहलावे कि ब्रह्म हत्यारे को झूठी गवाही देने में जो नरक होते हैं वह इस तुला में बढ़ें उसके प्रार्थना के मन्त्र बोले । यदि तुला में तौल बढ़ जावे तो उसको सच्चा समझे, यदि घट जावे तो उसे झूठा समझे ।
११. अग्नपरीक्षा वर्णनम् : ४२८
अग्निपरीक्षा - सोलह अङ्ग ुल के सात मण्डल बनावे और उन मण्डलों को दो हाथ के सूत्रों से वेष्टित कर देवे । पचास पल लोहे को आग में गरम करके उसे हाथ में लेकर सात मण्डलों पर चले फिर लोहे को नीचे रख देवे । जिसका हाथ न जले वह अनपराधी यदि जल जावे तो अपराधी । इसके नीचे अग्नि के मन्त्र लिखे हैं ।
१२. उदकपरीक्षा वर्णनम् : ४३०
उदक (जल में परीक्षा) वहां पर एक आदमी धनुष से एक तीर पानी में डा । वह आदमी कूदकर उस तीर को लावे । जो पानी के नीचे न दिखलाई दे वह शुद्ध, जो दिखाई दे वह अशुद्ध और मन्त्र वहीं लिखे हैं ।
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