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विष्णुस्मृति
१. सृष्ट्युत्पत्तिवर्णनम् : ४०१ ब्रह्मा की उत्पत्ति से सृष्टि रचना, वराह द्वारा पृथिवी उद्धार, देव सृजन,
जब विष्णु अन्तर्धान हो गये तब कश्यप से पृथिवी ने पूछा मेरी गति क्या होगी ? पृथिवी द्वारा विष्णुस्तुति ।
२ सवर्णाश्रम वृत्तिधर्म वर्णनम : ४०७ वर्णाश्रम की रचना उनके मन्त्रों द्वारा श्मशान तक की क्रिया, वृत्ति, जाति पर विचार ।
३. राजधर्म वर्णनम् : ४०८ राजधर्म, ब्राह्मणों से कर नहीं लेने का वर्णन ।
४. राजधर्म वर्णनम् : ४१२ प्रजा के सुख से सुखी और दुःख से दुःखी रहने से राजा को स्वर्ग प्राप्ति ।
५. राजधर्मविधाने दण्डवर्णनम् : ४१३ महापातक और उनके दण्ड का वर्णन, पापियों के दण्ड का वर्णन, दूसरी योनि
का वर्णन, विवाद का वर्णन, कूट साक्षियों का वर्णन, तीन पुस्ततक भोगने पर जगह का वर्णन, चोर, परस्त्रीगामी, लम्पट जिसके राज्य में न हों उस राजा का इन्द्रत्व वर्णन ।
६. ऋणदान वर्णनम् : ४२१ ऋणी धनी का व्यवहार और उसकी व्यवस्था का वर्णन, स्वर्ण की द्विगुण की
वृद्धि, अन्न की त्रिगुण की वृद्धि इनके निर्णय शास्त्र साक्षी। सम्पत्ति लेने वाले को ऋणदान आवश्यक ।
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