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________________ १८२ भारद्वाजस्मृति १-५० १-४४ ९. गायत्र्याः साधनक्रम वर्णन : ३१३८ गायत्री के साधनक्रम को जानने से ही सद्यः सिद्धि मिलती है अतः उसको जानकर जप किया जाय १० गायत्र्या मन्त्रार्थकथनम् : ३१४३ गायत्री के मन्त्र का अर्थ का विस्तार से निरूपण ११. गायत्र्याः पूजाविधानकथनम् : ३१४४ गायत्री का पूजा विधान १-११८ गायत्री पुष्पाञ्जलि का प्रकार १११-१२१ १२. गायत्रीध्यानवर्णनम् : ३१५६ गायत्री का ध्यान वर्णन १-६१ १३. गायत्रीमूलध्यानवर्णनम् : ३१६३ गायत्री का मूलध्यान और महाध्यान का वर्णन १४. पूजाफलसिद्धये द्रव्यगन्धलक्षणवर्णनम् : ३१६६ पूजाफल की सिद्धि के लिये नाना द्रव्य, गन्धलक्षण का विस्तार से निरूपण १-६४ १५. यज्ञोपवीतविधिवर्णनम् : ३१७२ यज्ञोपवीत की विधि का वर्णन निवीत और प्राचीनावीत का लक्षण । शुद्ध देश में कपास का बीज बोया जावे, उसके तैयार होने पर ही ब्रह्मसूत्र को विधिवत् बनाया जाय । नाभि के बराबर ६६ छियानवे चार हस्ताङ्गुल प्रमाण से बनाकर शुद्ध मन से देवगुण ऋषियों का ध्यान करते हुए इस ब्रह्मसूत्र को पहने १६. यज्ञोपवीतधारणविधिवर्णनम् ३१८७ शुद्ध होकर आचमन कर आसन पर बैठे फिर आचार्य, गणनाथ, वाणीदेवता, देवता, ऋषिगण और पितरों का स्मरण करें। भगवान्, ब्रह्मा, अच्युत और रुद्र को भक्ति से नमस्कार करें, नवों तन्तुओं में आवाहन कर यज्ञोपवीत का धारण करें १-६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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